पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रकृति पूजन हमारी परम्परा
27 अगस्त, जयपुर। पर्यावरण का अर्थ है चारों ओर का आवरण। चारों ओर के आवरण में जल, धरती, हवा, पेड़ – पौधे एवं अन्य जीव जन्तु आते हैं। इन सभी का हमारे और अन्य जीवों के जीवन में क्या महत्व है, यह तो बताया भी नहीं जा सकता। पर्यावरण संरक्षण आज कि मांग है और प्रकृति संरक्षण के लिए प्रकृति पूजन हमारी परम्परा रही है। परन्तु आज संरक्षण सिर्फ अभिव्यक्ति और बहस का विषय बनकर रह गया है। आवश्यकता है धरातल पर काम करने वाले लोगों की।
अपना संस्थान, अर्थात अमृता देवी पर्यावरण नागरिक संस्थान एवं संघ कि पर्यावरण गतिविधि पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने स्तर पर मेहनत कर रही है। जल बचाने की परंपरागत तकनीक में आधुनिकता का मिश्रण करते हुए , अब बारिश को पानी बचाने के लिए, छत के पानी को इकट्ठा कर उसमे फिल्टर लगा दिया जाता है, जिस से पानी की बचत होती है।
धरती की सुंदरता बढ़ाने के लिए ईश्वर ने पेड़ों की रचना की। इनकी संरक्षा करना हमारा कर्तव्य है। कोई भी व्यक्ति 10 पेड़, 100 पेड़, 1000 पेड़ लगा सकता है, लेकिन पेड़ लगाने का असली कार्य पक्षी करते हैं। इसीलिए अपना संस्थान ने 1,50,000 के लगभग पक्षियों के लिए पक्षीघर बनवाए हैं।
स्वच्छता बनाए रखने के लिए अपना संस्थान ने रसोई की बगिया, घर की फुलवारी एवं मैजिक ड्रम का प्रारम्भ किया है। इस बगिया के मैजिक ड्रम में घर और रसोई में पैदा होने वाले कूड़े से खाद बनाई जाती है। इससे कूड़े का भी उपयोग हो जाता है और साथ ही साथ पौधों के लिए जैविक खाद भी उपलब्ध हो जाती है।
अशोक कुमार शर्मा, पर्यावरण गतिविधि, प्रांत संयोजक ने बताया कि, “अपना संस्थान पर्यावरण संरक्षण पर केवल चिंतन ही नहीं करता, साथ ही साथ वो उस पर काम भी करता है। हम जल, धरती, जंगल और जन सभी के लिए साथ में काम कर रहे हैं। केवल ये ही नहीं हम लोगों ने मिलकर लोगों को जागरूक करने के लिए, पेड़ चालीसा और पॉलीथीन चालीसा जैसे चालीसा भी बनाए हैं।”
अपना संस्थान केवल पुराने संसाधनों तक सीमित ना रह कर संरक्षण के लिए नए नए तरीके लगातार खोज रहा है। नई तकनीक का प्रयोग करते हुए, लोगों से जुड़ रहा है। लोगों के घरों में भिन्न भिन्न परन्तु सुंदर प्रकार के बर्ड फीडर लगाए गए हैं, जिससे ना केवल पक्षियों कि सहायता होती है, परन्तु घर के सुंदरता भी बढ़ती है। इसके अलावा अपना संस्थान ने बर्ड रेस्टोरेंट भी बनाए हैं, जिसमें पक्षी आकर झूला झूल सकते हैं और दाना चुग सकते हैं।