राजस्थान के पांच शहरों में पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए के छापे
राजस्थान के पांच शहरों में पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए के छापे
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने बुधवार देर रात से अब तक राजस्थान समेत देश के 13 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी की है। कार्यवाही के दौरान PFI से जुड़े सौ से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार होने वालों में संगठन प्रमुख ओमा सालम का नाम भी सामने आ रहा है। NIA और ED की यह कार्रवाई राजस्थान समेत उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश और पुडुचेरी में की गई है।
जयपुर में मोती डूंगरी रोड स्थित मुस्लिम मुसाफिर खाने वाली गली में पीएफआई के प्रदेश स्तरीय कार्यालय पर भी आज सुबह एनआईए की टीम पहुंची। तलाशी में एनआईए को कुछ महत्वपूर्ण कागज मिलने के समाचार हैं। एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई है। जिसके विरोध में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया एवं गिरफ्तार युवक को छोड़ने की मांग की। राजस्थान में जयपुर के अलावा कोटा, बारां, अजमेर और उदयपुर में भी छापे पड़े। कोटा और बारां में प्रतिबंधित साहित्य और अन्य सामान मिलने की सूचना है। छापे के दौरान ईडी के अफसर भी साथ थे। पूरी कार्यवाही को सीआरपीएफ (CRPF) की सुरक्षा में अंजाम दिया गया। इस दौरान स्थानीय पुलिस को दूर रखा गया। अनेक स्थानों पर चल रही छापेमारी में पीएफआई से सम्बंध रखने वाले कई लोगों के भूमिगत होने के भी समाचार हैं।
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया?
1992 में बाबरी ढांचा गिराने का मुसलमानों ने विरोध किया और 1994 में मुसलमानों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का उद्देश्य बताते हुए केरल में राष्ट्रीय विकास मोर्चा (NDF) की स्थापना की। वर्ष 2003 में कोझिकोड के मराड बीच पर 8 हिंदुओं की हत्या में NDF के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए थे।
केरल के अलावा कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी (KFD) और तमिलनाडु में मनिथा नीतिपसाराई (MNP) नाम के संगठन पहले से सक्रिय थे। इन संगठनों का भी हिंसक गतिविधियों में नाम आता रहा था।
नवंबर 2006 में दिल्ली में इन सभी संगठनों के विलय के बाद PFI का गठन हुआ। इस पर समय समय पर टैरर फंडिंग, आतंकी गतिविधियां चलाने, युवकों का मजहबी ब्रेनवॉश करने, उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने आदि जैसे आरोप लगते रहे हैं।
जुलाई में पटना के पास फुलवारी शरीफ में छापेमारी के दौरान PFI के सदस्यों के पास से इंडिया 2047 नाम का 7 पेज का एक डॉक्यूमेंट भी मिला था। इसमें अगले 25 साल में भारत को मुस्लिम राष्ट्र कैसे बनाया जा सकता है, का पूरा खाका था। हिजाब प्रकरण को तूल देकर अराजकता फैलाने में भी पीएफआई का हाथ था।
उदयपुर में सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा के समर्थन के बाद कन्हैयालाल की हत्या के मामले में भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का हाथ होने को लेकर कई एंगल से जांच चल रही है। उल्लेखनीय है कि घटना के बाद एसआईटी का गठन हुआ था, जिसने हत्या की तह तक जाने के लिए अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की थी। कार्यवाही के दौरान कई संदिग्ध मुस्लिम युवाओं को गिरफ्तार किया गया था, जिनके पास से पीएफआई से संबंधित दस्तावेज मिले थे।