फेसबुकिया सहयोग
हमारी जानकारी में कई ऐसे फेसबुकिया सहयोगकर्ता हैं जो अगर कोई चवन्नी भी मांग ले तो उनके प्राण पखेरू हो जाते हैं। परंतु जब आप उनका फेसबुक अकाउंट खोल कर देखेंगे तो उनकी सारी फोटो सहयोग करते हुए धांसू स्टेटस के साथ मिलेंगी।
शुभम वैष्णव
आपने आर्थिक सहयोग, सामाजिक सहयोग और व्यक्तिगत सहयोग के बारे में तो खूब सुना है परंतु आजकल एक फेसबुकिया सहयोग भी चलन में है। फेसबुकिया सहयोग से सहयोग कम प्रचार ज्यादा किया जाता है। दिखाया जाता है दुनिया को कि हम कितने सहयोगी हैं।
फेसबुकिया सहयोग का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ फेसबुक पर लाइक्स और कमेंट पाना है। कहीं आप भी तो फेसबुकिया सहयोग के सहयोगकर्ता नहीं हैं?
वैसे भी हमारे पूर्वज कहकर गए हैं कि दाएं हाथ से दान करो तो बाएं हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए। पर यहां तो जमाने को दिखाने के लिए कभी रक्तदान तो कभी किसी भूखे को भोजन देते हुए या फिर किसी संस्थान को चंदा देते हुए फोटो खींचकर फेसबुक पर चढ़ा दिए जाते हैं, ताकि जमाने को हमारी दिलदारी के बारे में पता चल सके।
सहयोग दिखावे के लिए नहीं बल्कि किसी को सहारा देने के लिए करना चाहिए। फेसबुकिया सहयोग संवेदनाहीन होता है और ऐसा सहयोग, सहयोग नहीं बल्कि एक छलावा है। तो आप भी इस प्रकार के छलावे से हमेशा दूर रहें।
हमारी जानकारी में कई ऐसे फेसबुकिया सहयोगकर्ता हैं जो अगर कोई चवन्नी भी मांग ले तो उनके प्राण पखेरू हो जाते हैं। परंतु जब आप उनका फेसबुक अकाउंट खोल कर देखेंगे तो उनकी सारी फोटो सहयोग करते हुए धांसू स्टेटस के साथ मिलेंगी। आप जब यह नजारा देखेंगे तो आपको लगेगा की कितने सहयोगी व्यक्ति हैं। ऐसे सहयोगकर्ताओं की देश में कोई कमी नहीं है जिनकी सहयोग भावना सिर्फ और सिर्फ एक कैमरे और फोटो के इर्द-गिर्द घूमती है, रेंगती है और चलती है और चलती ही रहती है, एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट तक, एक दिन से दूसरे दिन तक, पर वास्तविकता में सहयोग का कोई नामोनिशान नहीं होता। उनमें होता है तो सिर्फ और सिर्फ प्रचार और स्वयं का महिमामंडन।
सहयोग हमेशा कभी किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं बल्कि किसी को अपने समकक्ष लाने के लिए किया जाता है। तो आप एक अच्छे और सच्चे सहयोगी बनें। फेसबुकिया सहयोगी बनकर मत रहिए।