कार्यकर्ता

कुछ लोग राजनीतिक दलों के लिए तो इतना कुछ करते हैं परंतु जिस देश ने सब कुछ दिया, आज वही देश जब संकट में है, तब यही लोग बातों के खयाली पुलाव तो जरूर पकाते हैं, परंतु देश की सेवा के लिए कुछ भी नहीं करते।

शुभम वैष्णव

हमारे मोहल्ले में कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता रहते हैं। आप चाहें तो हमारी कॉलोनी को राजनीति नगर भी कह सकते हैं। यहां के लोगों की रग-रग में 24 घंटे और सातों पहर बस राजनीति चलती रहती है। हमेशा सभी में अपने-अपने दल को श्रेष्ठ बताने की होड़ लगी रहती है। लेकिन इन सब कार्यकर्ताओं में एक बात जरूर  समान है कि – ये सब लोग नेताओं के पिछलग्गू बनकर रहते हैं। चमचागिरी करना अब इनका धंधा बन चुका है। ये वही लोग हैं जो चुनाव आने पर दिन-रात अपने अपने नेताओं को जिताने के लिए भागदौड़ करते हैं, नारे लगाते हैं, भीड़ इकट्ठा करते हैं और वोटों की अपील करने के लिए सब लोगों के घर घर जाकर हाथा जोड़ी करते हैं।

लेकिन इनके इतना करने पर भी नेताजी इन्हें भाव तक नहीं देते। बस चुनाव आने पर छाती से जरूर चिपका लेते हैं। भई उन्हें भी तो काम करने वाले मजदूरों की जरूरत रहती है। तभी तो चुनाव आने पर ऐसे लोगों की फौज तैयार कर ली जाती है।

आज देश संकट में है और ऐसे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता घरों में बैठकर राजनीति की रोटियां बेल रहे हैं। परंतु घर से बाहर निकलकर किसी की सहायता के लिए आगे नहीं आ रहे। भई ऐसे लोगों के लिए पार्टियां भगवान होती हैं। परंतु देश कुछ नहीं, तभी तो इस संकट की घड़ी में भी ये सब कार्यकर्ता अपने घरों में दुबके बैठे हैं इन्हें देखकर हमारे मोहल्ले के कवि महाशय ने क्या खूब लिखा है-
तुम घरों में बैठे रहो आराम से,
काम करना सिर्फ राजनीति के लिए,
क्योंकि राजनीति बड़ी है तुम्हारी नजरों में ,
पर वतन कुछ भी नहीं!

आप सब इस बात से सहमत होंगे कि कुछ लोग राजनीतिक दलों के लिए तो इतना कुछ करते हैं परंतु जिस देश ने सब कुछ दिया, आज वही देश जब संकट में है तब यही लोग बातों के खयाली पुलाव तो जरूर पकाते हैं, परंतु देश की सेवा के लिए कुछ भी नहीं करते, क्योंकि देश सेवा करने के लिए निस्वार्थ भावना चाहिए और राजनीति की सेवा करने के लिए स्वार्थ सिद्धि चाहिए। यही इन लोगों की मानसिकता है जो भी लोग इस प्रकार की मानसिकता के हैं, उनसे मेरा यही कहना है कि आप राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता तो खूब बन  लिए पर एक बार भारत देश के कार्यकर्ता बनकर भी जरूर देखें, क्योंकि इस देश का कार्यकर्ता बनना गर्व की बात है।

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