भारत संजो रहा अपनी विरासत
विश्व विरासत दिवस प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है। यह वर्ष 1982 में यूनेस्को द्वारा प्रारंभ किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व के महत्वपूर्ण स्मारकों और स्थलों के संवर्धन और संरक्षण को बढ़ावा देना है।
विश्व विरासत दिवस थीम 2024
इस वर्ष विश्व विरासत दिवस की थीम “Discover and experience diversity” रखी गई है। जिसका अर्थ विविधता की खोज और उसका अनुभव करना है।
विश्व विरासत दिवस का इतिहास
विश्वभर की चर्चित इमारतों और प्राकृतिक स्थलों के संरक्षण हेतु वर्ष 1968 में पहली बार प्रस्ताव सामने आया। इसे स्टॉकहोम में एक इंटरनेशनल समिट में पास कर दिया गया। इसके बाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की स्थापना की गई। वर्ष 1982 में पहली बार वर्ल्ड हेरिटेज डे सेलिब्रेट करने का प्रस्ताव रखा गया। इस दिन ही ट्यूनिशिया में पहली बार विश्व विरासत दिवस मनाया गया था। वर्ष 1983 में विश्व विरासत दिवस को आधिकारिक मान्यता दी गई। इसका उद्देश्य है कि केवल सरकारें ही नहीं लोग भी सांस्कृतिक विरासत या धरोहरों का महत्व समझें और उनके संरक्षण में सहयोग दें।
वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यकाल में भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में 10वें स्थान से 5वें स्थान पर पहुंच गयी है, जो अगले 3 वर्षों में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।
इस सरकार ने पिछले 10 वर्षों में देश की विरासत को संजोने और उसका संवर्धन करने का सर्वश्रेष्ठ कार्य किया है। उत्तरप्रदेश में अयोध्या और काशी कॉरिडोर से लेकर मध्य प्रदेश का महाकाल कॉरिडोर और दक्षिण में हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की विशालकाय प्रतिमा स्थापित करना इसके साक्षात प्रमाण हैं। विकास के ये सोपान कुछ इस प्रकार हैं-
अयोध्या
श्रीराम मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या का चहुंमुखी विकास हुआ। यहां एक नया हवाई अड्डा और नया रेलवे स्टेशन बनाया गया है। टाउनशिप का विकास हो रहा है। इसके अंतर्गत सड़क संपर्क में सुधार आया है। कुछ अन्य कार्य भी हुए हैं, जिनकी लागत लगभग 85,000 करोड़ रुपए है। एक अनुमान के अनुसार, अयोध्या में प्रतिवर्ष 5 करोड़ आगंतुकों के आने की आशा है। यह संख्या वेटिकन सिटी और मक्का जाने वाले श्रद्धालुओं से कहीं अधिक है।
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर में भारत की ओर से 2.5 टन चंदन की लकड़ी भेंट की गई है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का विकास काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के साथ 70 किमी पंचकोसी मार्ग का सौन्दर्यीकरण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है। गंगा में क्रूज संचालन, मल्टी मॉडल टर्मिनल, मल्टी लेवल पार्किंग आदि वाराणसी के विकास की पहचान हैं। काशी को एससीओ की पहली पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी घोषित किया गया है।
बौद्ध सर्किट का विकास
महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन का अधिकांश समय इस सर्किट में बिताया था। वे पवित्र स्थान, जहाँ भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, जहॉं उन्होंने शिक्षा, उपदेश, ज्ञान और निर्वाण प्राप्त किया, वे सब बौद्ध सर्किट में शामिल हैं। यहाँ नेपाल, भूटान, थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, लाओस, मंगोलिया, वियतनाम, हांगकांग, सिंगापुर, ताइवान, कोरिया और हिमालय क्षेत्र से लाखों पर्यटक आते हैं।
अमरनाथ यात्रा ट्रैक
हर वर्ष होने वाली अमरनाथ यात्रा को देखते हुए सरकार ने यात्रियों को सुरक्षित यात्रा की सुविधा देने के लिए यात्रा ट्रैक के रखरखाव पर विशेष कार्य किया है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए यहाँ हवाई टनल का निर्माण किया गया है।
केदारनाथ का विकास
वर्ष 2013 में घटी केदारनाथ आपदा के बाद से धाम को फिर से बसाने के लिए सरकार द्वारा तीन चरणों में इसका पुनर्निर्माण किया जा रहा है। लगभग पांच सौ करोड़ की लागत से पुनर्निर्माण कार्य होने हैं। आपदा प्रभावितों को सरकार पूर्व में ही मुआवजा दे चुकी है।
उज्जैन महाकाल कॉरिडोर
800 करोड़ रुपए की लागत से बना महाकाल कॉरिडोर काशी कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है।
अम्बेडकर पंचतीर्थ का विकास
सरकार द्वारा घोषित पंचतीर्थ के पाँच शहर हैं:
जन्मभूमि- मध्य प्रदेश के महू में अंबेडकर का जन्मस्थान।
शिक्षा भूमि- लंदन में वह स्थान जहाँ वह अपने अध्ययन काल में रहते थे।
दीक्षा भूमि- नागपुर में वह स्थान जहाँ उन्होंने बौद्ध पंथ ग्रहण किया।
महापरिनिर्वाण भूमि- दिल्ली में उनके निधन का स्थान।
चैत्य भूमि- मुंबई में उनके अंतिम संस्कार का स्थान।
इंडिया गेट पर बोस की प्रतिमा
इंडिया गेट पर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के स्थान पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाई गई।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा
गुजरात में भरूच के निकट नर्मदा जिले में स्थित टापू साधु बेट पर भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टेचू ऑफ यूनिटी’ बनाई गई है। यह सरदार पटेल द्वारा भारत के एकीकरण की प्रतीक है।
शिवाजी महाराज की प्रतिमा
पीएम मोदी ने 6 मार्च 2022 को पुणे नगर निगम के परिसर में भी छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया। 9.5 फीट ऊंची यह प्रतिमा 1850 किलोग्राम गनमेटल से बनाई गई थी।
समता की प्रतिमा : संत रामानुजाचार्य की हैदराबाद में 216 फुट ऊंची मूर्ति
11 वीं शताब्दी के वैष्णव संत रामानुजाचार्य की हैदराबाद में 216 फुट मूर्ति स्थापित की गई है। इसका लोकार्पण 5 फरवरी, 2022 को किया गया। इसे रामानुज प्रतिमा भी कहते हैं। यह 1000 करोड़ रुपए की लागत से बनी है।
आदि शंकराचार्य की 108 फुट ऊँची प्रतिमा
मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर धाम में 21 सितम्बर 2023 को आदि शंकराचार्य के 12 वर्ष की आयु की 108 फुट ऊँची प्रतिमा का लोकार्पण किया गया।
गुजरात के पावागढ़ काली मंदिर का उद्धार
मंदिर का पुनर्विकास कर शिखर पर 500 वर्षों के पश्चात फहराई गई शिखर ध्वजा। मंदिर परिसर में स्थित दरगाह को स्थानान्तरित किया गया।
महाराष्ट्र के सप्तकोटेश्वर का जीर्णोद्धार
मंदिर को अलाउद्दीन और पुर्तगालियों द्वारा तोड़ा गया था अब उसका जीर्णोद्धार किया गया है।