मंदिर समाज की चिंता करने वाले हों, स्वच्छ बनें। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर हमारी परंपरा का अभिन्न अंग हैं। पूरे समाज को एक लक्ष्य लेकर चलाने के लिए मठ-मंदिर चाहिए। कभी हम गिरे, कभी दूसरों ने धक्का मारा… लेकिन हमारे मूल्य नहीं गिरे। हमारे जीवन का लक्ष्य एक ही है… हमारा कर्म और धर्म, यह लोक भी ठीक करेगा और परलोक भी।
मंदिर समाज की चिंता करने वाले हों, स्वच्छ बनें। डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर हमारी परंपरा का अभिन्न अंग हैं। पूरे समाज को एक लक्ष्य लेकर चलाने के लिए मठ-मंदिर चाहिए। कभी हम गिरे, कभी दूसरों ने धक्का मारा… लेकिन हमारे मूल्य नहीं गिरे। हमारे जीवन का लक्ष्य एक ही है… हमारा कर्म और धर्म, यह लोक भी ठीक करेगा और परलोक भी।