महिलाएं सामर्थ्यवान हैं, केवल उचित वातावरण की आवश्यकता – भाग्यश्री साठे
महिलाएं सामर्थ्यवान हैं, केवल उचित वातावरण की आवश्यकता – भाग्यश्री साठे
परिवार संस्कृत के वृ धातु से बना है। परिवार अर्थात स्नेह, प्रेम, देखभाल का आवरण। परिवारों में सहज रूप से एक दूसरे के प्रति स्नेह व सम्मान के भाव हैं और बच्चों का पोषण है तो एकल परिवार भी काल सापेक्ष हैं। यह बात भाग्यश्री साठे ने शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन के पहले सत्र में ‘आपके प्रश्न भाग्यश्री के उत्तर’ सत्र में एकल परिवार की बढ़ती प्रवृत्ति से सम्बन्धित प्रश्न पर कही। यह सत्र ‘स्त्री से सृष्टि तक’ थीम पर आयोजित था। इस वार्ता सत्र में दर्शकों ने स्त्री, परिवार, समाज केंद्रित प्रश्न पूछे।
भारतीय परिवार व्यवस्था पर प्रभाव को लेकर भाग्यश्री ने कहा कि वर्तमान में चल रही भारतीय परिवार व्यवस्था और सास बहू के संबंध इस तरह नहीं हुआ करते थे, जिस तरह से दिखाए जाते हैं। आजकल के अधिकांश धारावाहिक तथा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई जा रही फिल्में परिवार विच्छेद और भारतीय परंपरा को नष्ट करने वाले षड्यंत्र का हिस्सा हैं।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि नारी निस्संदेह शक्ति का स्वरूप है। उसमें सृजन की क्षमता है, परंतु आक्रमण काल में जो विकृतियां आईं, उन्हें दूर करने के लिए शक्ति को पुनः उजागर करना होगा। आज यह हो भी रहा है। सुजया व सुप्रभा ने रामायण काल में शस्त्र बनाए और आज पुनः महिलाएं चंद्रयान जैसे महत्वपूर्ण मिशन में अपना योगदान दे रही हैं।
कानून भले ही प्रशासन बनाए, परंतु लागू तो समाज को ही करना होगा
नारी शक्ति वंदन अधिनियम के प्रश्न पर उत्तर देते हुए भाग्यश्री साठे ने कहा कि धीरे धीरे ऐसी परिस्थितियाँ भी बनेंगी, जब महिलाएं जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व करेंगी। परंतु अभी महिलाओं को प्रतिनिधित्व के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देना होगा, पोषक वातावरण का निर्माण करना होगा। साथ ही योग्य महिलाएं आगे आएं, यह सुनिश्चित करना होगा। महिलाएं सामर्थ्यवान हैं। भारत मूल की कमला प्रसाद त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राष्ट्राध्यक्ष बनीं, यह एक प्रेरणा है।