देश में अंग्रेजों व वामपंथियों ने किया वैचारिक घोटाला- मेजर पूनिया

देश में अंग्रेजों व वामपंथियों ने किया वैचारिक घोटाला- मेजर पूनिया

देश में अंग्रेजों व वामपंथियों ने किया वैचारिक घोटाला- मेजर पूनियादेश में अंग्रेजों व वामपंथियों ने किया वैचारिक घोटाला- मेजर पूनिया

सीकर। शेखावाटी साहित्य संगम (29 सितंबर) के दूसरे सत्र में विशिष्ट अतिथि मेजर सुरेंद्र पूनिया ने ‘भारत का स्व : वर्तमान चुनौतियां व हमारी भूमिका’ पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि परिवार, समाज व राष्ट्र का स्व चेतना में निहित है। स्व की अनुभूति के लिए श्रद्धा होना आवश्यक है। जब तक देश के प्रति श्रद्धा नहीं होगी, तब तक स्व का जागरण नहीं होगा।

भारत का स्व हिन्दू तत्व में है। यह कोई धार्मिक शब्द नहीं, यह हज़ारों वर्षों से प्रवाहित भारत की संस्कृति का नाम है। मेजर पूनिया ने कहा कि 1947 में हम स्वाधीन तो हुए, परंतु स्वतंत्र नहीं। देश में बड़े बड़े घोटाले हुए, परंतु सबसे बड़ा घोटाला हुआ वैचारिक घोटाला। यह घोटाला लेफ्ट लिबरल गैंग ने किया।

इतिहास की गलत व्याख्याएं की गईं। भारत को एक अंधकारमय देश बताते हुए कहा गया कि मुगलों व अंग्रेजों ने इसे प्रकशित किया, ज्ञान दिया। इतिहास लिखने का कार्य उन वामपंथी इतिहासकारों को दिया गया, जो भारत के विषय में कुछ नहीं जानते। प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसा विकृत इतिहास रटने पर विवश किया गया। सबसे बड़ी छेड़छाड़ संविधान के साथ हुई, जब आपातकाल के समय इसमें संशोधन कर सेकुलर शब्द जोड़ा गया। भारत सर्वपंथ समादर वाला देश है, इसकी आत्मा वसुधैव कुटुम्बकम में है। हमने अपना स्व खोया। इसलिए हम भ्रष्टाचार के मार्ग पर बढ़े। जब तक हम अपने नायक नायिकाओं के प्रति गर्व का भाव नहीं लाएंगे, हम में हीन भावना आती रहेगी।

हथियारबन्द आतंकियों से अधिक घातक हैं वैचारिक आतंकी

चुनौतियों की बात करते हुए मेजर ने कहा कि विचार का आतंक आज सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे ये लोग एसी रूम, कोर्ट में बैठकर व शासन, मीडिया एवं शिक्षण संस्थानों का उपयोग कर आतंकवादियों व देशद्रोहियों को बचाने का कार्य करते हैं। देश की सुप्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज़ में ऐसे बौद्धिक आतंकवादी उपस्थित हैं, जो युवाओं को दिग्भ्रमित करते हैं। ऐसे लोग हथियारबंद आतंकवादियों से भी अधिक घातक हैं।बुरहान वानी और याक़ूब मेनन जैसे आतंकवादियों के लिए रात में सुप्रीम कोर्ट खुलवा लिया जाता है। न्यायपालिका का यह चयनित हस्तक्षेप देश के लिए घातक है। इससे देशद्रोहियों व अलगवादियों को बल मिलता है। न्याय समय पर ना मिले तो वह अन्याय बन जाता है। आम नागरिकों की सुनवाई में वर्षो लग जाते हैं, परंतु ऐसे लोगों के लिए रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुल जाता है।

देश के लिए एक और चुनौती की बात करते हुए पूनिया ने कहा कि कैसे रोहिंग्यों को देश के अंदर जम्मू कश्मीर, बंगलोर, दिल्ली में जगह मिल जाती है। क्या यह किसी के सहयोग के बिना सम्भव है? इन घुसपैठियों के कारण भारत की डेमोग्राफी विकृत हो रही है। बॉलीवुड लगातार भारत विरोधी फ़िल्में बना रहा है। अंत में भारत के स्व पर विदेशी आक्रमण व वर्तमान में विदेशी हस्तक्षेप की बात करते हुए उन्होंने अपनी बात समाप्त की।

सत्र की शुरुआत भारत माँ के जयघोष के साथ हुई। सत्र में एनसीसी कैडेट्स भी अच्छी संख्या में उपस्थित रहे।

शेखावाटी साहित्य संगम (29 सितंबर)

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