मुस्लिम समाज के दबाव में प्रशासन ने धार्मिक शोभायात्राओं के मार्ग बदले

टोंक जिले का मालपुरा कस्बा मुसलमानों द्वारा फैलाए जाने वाले साम्प्रदायिक उन्माद को लेकर चर्चाओं में रहता आया है। कस्बे में कई बार हिन्दुओं की धार्मिक शोभायात्राओं को मुस्लिम उपद्रवियों ने निशाना बनाया है। अब मालपुरा उपखंड प्रशासन के एक आदेश ने हिन्दू समाज को आक्रोशित कर दिया है। आरोप है कि प्रशासन ने मुस्लिम समाज के दबाव में आकार धार्मिक यात्राओं के मार्ग बदले हैं। आदेश के अनुसार, कस्बे में अनेक वर्षों से परम्परागत मार्गों से निकलने वाली दशहरा शोभायात्रा, कावड़ यात्रा, ईद व मोहर्रम के जुलूस के मार्गों में परिवर्तन कर दिया गया है। इस आदेश का हिन्दू समाज पुरजोर विरोध करते हुए ज्ञापन देकर प्रदर्शन कर रहा है। प्रशासन का तर्क है कि इस प्रकार के सभी आयोजनों के जुलूस / प्रदर्शन के दौरान किसी भी प्रकार की अनहोनी हो सकती है। धार्मिक आयोजनों के मार्ग परिवर्तित करने के विरोध में विभिन्न संगठनों के नेतृत्व में गैर मुस्लिम समाज के लोगों ने उपखण्ड अधिकारी को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

श्री गणपति महोत्सव समिति मालपुरा के संयोजक कृष्णकांत जैन कहते हैं- हमारी कॉलोनियों से होकर मुस्लिमों के धार्मिक जुलूस निकलने पर हमें कोई परेशानी नहीं है तो फिर हमारे समाज के कार्यक्रमों से मुस्लिमों को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मार्ग परिवर्तित करके मालपुरा में शांति स्थापित नहीं की जा सकती। इसके बावजूद प्रशासन ने लोगों की मांग को नजरअंदाज कर मार्ग परिवर्तन के आदेश दिए हैं। लोगों का यह भी कहना है कि मुस्लिम समाज अपनी धार्मिक परंपराओं का लगातार निर्वहन करे ताकि आपसी मेल-मिलाप बना रहे।

इससे पूर्व रास्ता परिवर्तन के विषय में जब प्रशासन द्वारा दोनों समाजों से संवाद हुआ था तो हिंदू समाज ने प्रशासन को यह साफ कर दिया था कि हिंदुओं द्वारा दशहरा शोभायात्रा व कावड़ यात्रा अपने परंपरागत व पूर्व निर्धारित मार्ग से होते हुए ही निकाली जाएंगी। जहां 6 जनवरी व 20 मई को सैकड़ों लोगों ने प्रशासन को ज्ञापन के माध्यम से अपने निर्णय से अवगत कराया था कि हिन्दू समाज रास्ता परिवर्तन के पक्ष में नहीं है और वह अपने धार्मिक जुलूस परंपरागत मार्गों से ही निकालेगा। इसके बावजूद प्रशासन ने दूसरे पक्ष के दबाव में मार्ग परिवर्तन के आदेश जारी कर दिए।

शुभम शर्मा का आरोप है कि प्रशासन द्वारा संविधान प्रदत्त धार्मिक अधिकारों के विपरीत आदेश थोपकर उनके अधिकारों का हनन किया जा रहा है। इसके विरुद्ध उग्र आंदोलन किया जाएगा। हिंदू समाज के लोगों ने संगठित स्वर में कहा कि समाज अपने अधिकारों की रक्षा के लिए अंत तक लड़ेगा, चाहे उन्हें इसके लिए न्यायालय का दरवाजा ही क्यों न खटखटाना पड़े।

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