राममंदिर निर्माण को लेकर युवाओं की सोच
जयपुर, 05 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राममंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम में भाग लेकर आठ राम शिलाओं का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया। भूमिपूजन के इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रमुख पंथ-सम्प्रदायों के पूज्य संत-महंत तथा प्रबुद्धजन साक्षी बने। वहीं दूसरी ओर राममंदिर भूमिपूजन के पावन अवसर पर सम्पूर्ण देश में उत्साह, उमंग एवं उल्लास देखने को मिला।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए कइयों ने बलिदान दिए, मंदिर के निर्माण से सदियों की आस पूरी होने से लोगों में आनंद का माहौल है। उन्होंने कहा कि यह भारत को वैभवशाली बनाने की शुरुआत है। इस भव्य कार्य के लिए प्रभु श्रीराम जिस धर्म के लिए जाने जाते हैं, जो दुनिया को सुख-शांति का संदेश देता है, उसके लिए हमें अपने मन को भी अयोध्या बनाना है। हमें हमारे मन को मंदिर बनाना होगा।उन्होंने कहा कि पुरुषार्थ का भाव हमारी रग-रग में है। भगवान राम का उदाहरण है। सब राम के हैं और सबमें राम हैं। यह सभी भारतवासियों के लिए है। कोई अपवाद नहीं। मुझे स्मरण है कि तब के हमारे संघ के सरसंघचालक बाला साहब देवरस ने यह बात हमको कदम आगे बढ़ाने से पहले याद दिलाई थी। 30 साल काम करना होगा तब यह काम होगा, हमने किया। संकल्प पूर्ति का आनंद मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश को अब आत्मनिर्भर बनाने की ओर काम जारी है। आज महामारी के बाद पूरा विश्व नए रास्तों को ढूंढ रहा है। जैसे-जैसे मंदिर बनेगा, राम की अयोध्या भी बननी चाहिए। हमारे हृदय में राम का बसेरा होना चाहिए तभी सभी द्वेषों व विकारों से मुक्ति मिलेगी। इस समय पूरे देश में आनंद की लहर है। सदियों की आस पूरी होने का आनंद है और यह सबसे बड़ा आनंद है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जिस आत्मविश्वास की आवश्यकता थी। जिस आत्मभान की आवश्यकता थी उस का शुभारंभ आज हो रहा है।
इस बारे में अपनी बात रखते हुए 20 वर्षीय छात्रा, स्तुति बाफना कहती हैं, “आज का दिन सिर्फ़ हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान के लिए गर्व का दिन है। कई सालों के बाद आज रामलला के मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ है जो काफ़ी हर्ष का विषय है। लेकिन हमें इसको किसी की जीत या हार के रूप में नहीं देखना चाहिए। राम सभी के लिए पूजनीय हैं। यह एक सपने के पूरा होने जैसा है।”
इसी प्रकार जेईसीआरसी में अध्ययनरत पत्रकारिता के छात्र आकाश तिवारी कहते हैं “1992 में जब विवादित ढांचे को गिराया गया था, तो लोगों को लगा था कि अब राम मंदिर का निर्माण हो ही जाएगा। परन्तु वो तो सिर्फ शुरुआत थी। आज इस ऐतिहासिक दिन का साक्षी बन हम सभी लोग धन्य हो गए हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि राममंदिर का निर्माण कार्य हमारे जीवित रहते हुए शुरू हुआ है। हम सभी को इसमें भागीदारी निभानी चाहिए।”
इसी प्रकार स्नातक के छात्र पीयूष कौशिक बताते हैं कि अयोध्या में मंदिर बनाना अति आवश्यक था। यह केवल आस्था ही नहीं हमारी सभ्यता से भी जुड़ा है। मैं तो हैरान हूं कि आखिर राममंदिर बनने में इतना समय क्यों लगा, इसे तो पहले ही बन जाना चाहिए था।
पत्रकारिता की एक और छात्रा हिमांशी शर्मा कहती हैं, ” भारतीय सभ्यता में राम एक अटूट व्यक्तित्व हैं। किसी भी व्यक्ति को अगर भारत को जानना है तो राम को जानना अत्यंत आवश्यक है। संघर्षों से भरे इस सफर का आज भूमिपूजन के साथ अंत हो गया, और हम सब आज इस से बहुत खुश हैं।”
जयपुर में रह रहे वाणिज्य के छात्र मोहक सारडा कहते हैं कि हम अक्सर राम मंदिर को सिर्फ आस्था की नजर से देखते हैं। हम इसे धर्म से जोड़ देते हैं। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि राम मंदिर बनने के कारण अयोध्या में पर्यटन बढ़ जाएगा, जिसके कारण यहां कई नए व्यापार शुरू होंगे। अनेकों लोगों को नौकरियां एवं रोजगार मिलेगा। अयोध्या देश की अर्थव्यवस्था में मददगार साबित होगी।