विश्व तम्बाकू निषेध दिवस : राजस्थान में प्रतिमाह 346 करोड़ रुपए धूम्रपान में उड़ा दिए जाते हैं
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस : राजस्थान में प्रतिमाह 346 करोड़ रुपए धूम्रपान में उड़ा दिए जाते हैं
पूरी दुनिया में 31 मई का दिन विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य तम्बाकू सेवन के घातक परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। लेकिन क्या आपको पता है कि जयपुर के लोग प्रतिमाह 165 करोड़ रुपए तम्बाकू उत्पादों पर खर्च कर देते हैं। राज्य में 1 करोड़ 21 लाख लोग नियमित रूप से तम्बाकू का सेवन करते हैं। 68 लाख लोग चबाने वाला तम्बाकू खाते हैं। प्रदेश में 55 लाख लोग बीड़ी तथा 13 लाख लोग सिगरेट पीते हैं। ये लोग प्रतिमाह 346 करोड़ रुपए धुएं में उड़ा देते हैं। हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें इन आंकड़ों का खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, तम्बाकू उत्पादों से राजस्थान में प्रति वर्ष 88 हजार मौतें होती हैं। 96.3% पुरुष तम्बाकू के दुष्प्रभावों के बारे में जानते हुए भी तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते हैं। हैं न हैरान कर देने वाले आंकड़े? यह तब है जब हर तम्बाकू उत्पाद पर चेतावनी भी लिखी रहती है। तम्बाकू उत्पादों के सेवन से कैंसर तक का खतरा रहता है। लेकिन सब कुछ जानते बूझते हुए भी व्यक्ति लत नहीं छोड़ पाता और सरकारें राजस्व का मोह।
तंबाकू में निकोटीन होता है, जो व्यक्ति को एडिक्ट बनाता है और एक बार लत पड़ जाने पर वह कब घातक बीमारियों की चपेट में आ जाता है, जान ही नहीं पाता। तम्बाकू को चबाकर खाने वालों को मुंह का कैंसर होने का खतरा सर्वाधिक होता है। सिगरेट/ बीड़ी पीने और तम्बाकू उत्पाद खाने से हृदय की बीमारी होने का खतरा दो से चार गुना तक बढ़ जाता है।
उत्तर प्रदेश का मैनपुरी तम्बाकू उत्पादों का हब है। सबसे ज्यादा गुटका फैक्ट्री यहीं हैं और विश्व में मुंह के कैंसर के सर्वाधिक रोगी भी मैनपुरी में ही मिलते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में प्रति वर्ष लगभग 80 लाख लोग तम्बाकू सेवन से होने वाले जानलेवा रोगों का शिकार होते हैं और मौत के मुंह में चले जाते हैं।