ध्येय समर्पित व्यक्तित्व के धनी सत्यपाल हर्ष का देवलोकगमन
- जोधपुर प्रांत कार्यवाह व विभाग संघचालक रहे
- विद्या भारती के गुणवत्तायुक्त कार्य में भूमिका निभाई
जोधपुर, 18 नवम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे ध्येय समर्पित व जीवनव्रती कार्यकर्ता सत्यपाल हर्ष का देवलोकगमन हो गया। 85 वर्षीय सत्यपाल पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हुए थे। संघ कार्य के प्रति वे इतने एकमेव थे कि प्रतिवर्ष संघ शिक्षा वर्ग में पूरे समय उपस्थित रहकर विभिन्न दायित्वों का निर्वहन करते थे। राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत सत्यपाल बाल्यकाल में स्वयंसेवक बने तथा अभियांत्रिकी का अध्ययन करते हुए पूजनीय श्रीगुरूजी की प्रेरणा से प्रचारक बनकर संघ कार्य में जुटे। अजमेर में प्रचारक रहे तथा आपातकाल में भूमिगत रहकर कार्य किया। बाद में उन्होंने परिवार के आग्रह पर राजकीय सेवा में कार्य प्रारम्भ तो किया, लेकिन वे संघ कार्य के प्रति इतने एकनिष्ठ हो चुके थे कि राजकीय सेवा त्यागकर पूरी तरह संघ कार्य में जुट गए। वे जोधपुर के महानगर कार्यवाह, प्रांत कार्यवाह व विभाग संघचालक भी रहे। वर्ष 1969 में वे विद्या भारती से जुड़े तथा प्रांत मंत्री रहते हुए अपनी पूरी ऊर्जा के साथ आदर्श विद्या मंदिर विद्यालयों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सत्यपाल अपनी पत्नी के साथ विद्या भारती जोधपुर प्रांत कार्यालय श्रुतम में निवास करते थे, जहां स्वयंसेवकों द्वारा उनकी देखभाल व सेवा की जाती थी। वे कठिन परिस्थितियों में भी हमेशा स्वयंसेवकों के साथ पूरी दृढ़ता से खड़े रहते थे तथा अंत्योदय भाव के साथ अभावग्रस्त लोगों की सहायता करते थे।
संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य व घुमंतू कार्य प्रमुख दुर्गादास ने बताया कि सत्यपाल प्रचारक भावना से आजीवन कार्य करने वाले कार्यकर्ता थे। स्वयंसेवकों के परिवारों तक उनके जीवंत सम्पर्क थे, ऐसे में सब कार्यकर्ता उन्हें पिता तुल्य सम्मान देते थे। वे जोधपुर प्रांत में स्वयंसवकों की सर्वाधिक श्रद्धा प्राप्त करने वाले कार्यकर्ता थे। गीत गायन में विशेष रुचि के चलते स्वयंसेवक उनके मधुर स्वर में गीत सुनकर भाव-विभोर हो जाते थे। सत्यपाल 40 से अधिक बार संघ शिक्षा वर्गों में विभिन्न दायित्वों पर रहते हुए स्वयंसेवकों के प्रेरणास्रोत बने तथा विद्या भारती के प्रमुख कार्यकर्ता रहे। जोधपुर प्रांत में विद्या भारती के गुणवत्तायुक्त कार्य में उनका बहुत बडा योगदान रहा है, वे इसके पर्याय बन गए थे। वे एक जीवन-एक लक्ष्य की तरह संघ कार्य करते थे।
कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत थे हर्ष : शिवप्रसाद
वहीं विद्या भारती शिक्षण संस्थान ने शोक सभा आयोजित कर दिवंगत सत्यपाल हर्ष को श्रद्धांजलि दी। विद्या भारती राजस्थान के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवप्रसाद ने बताया कि सत्यपाल हर्ष प्रत्यक्ष रूप से 1969 से विद्या मंदिरों से जुड़े और उनके मार्गदर्शन में जोधपुर में चार विद्या मंदिर प्रारंभ हुए। वे ध्येयनिष्ठ आदर्श व्यक्तित्व के धनी तथा स्वयंसेवकों के प्रेरणास्रोत थे। जोधपुर प्रांत के मंत्री प्रो. लालसिंह राजपुरोहित ने हर्ष के जीवन के बारे में बताया। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रांत संघचालक ललित शर्मा, सह प्रांत संघचालक हरदयाल वर्मा, कार्यालय प्रमुख दुर्गासिंह गहलोत, प्रांत सचिव महेंद्र दवे, प्रांत निरीक्षक गंगाविष्णु बिश्नोई समेत संघ पदाधिकारियों व प्रबुद्ध लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।