सेवाकार्य समाज की सामूहिक जिम्मेदारी- भैय्याजी जोशी

सेवाकार्य समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है - भैय्याजी जोशी

सेवाकार्य समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है - भैय्याजी जोशी

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि सरकार व्यवस्थाओं का निर्माण करती है, लेकिन व्यवस्थाएं तभी सफल होती हैं जब पूरा समाज सेवा भाव से जुड़ जाए। सेवाकार्य समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।

लोक समस्या संशोधन एवं लोक कल्याण समिति के कार्यक्रम में भैय्याजी जोशी ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के दो प्रमुख प्रकार होते हैं। पहले अपनी क्षमता के अनुसार काम करते हैं, दूसरे- आवश्यकता के अनुसार काम करते हैं। आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति उनका उद्देश्य होता है। लोक कल्याण समिति समाज की आवश्यकता के अनुरूप कार्य करती है।

उन्होंने कहा कि भारत में सेवाकार्य करने की परंपरा रही है। भारतीय समाज हमेशा से एक दूसरे की सहायता करता आया है। मौजूदा समय में भी बहुत से गुरुद्वारा, मठ, आश्रम और मंदिरों में निःशुल्क भोजन की व्यवस्था होती है। इतना ही नहीं हम गाय और कुत्ते को भी रोटी खिलाते हैं। देश में अंग्रेजों के आगमन के पहले सेवाकार्य संस्थागत नहीं हुआ करते थे। भारत में भामाशाह जैसे दानवीरों की परंपरा रही है। नतीजतन देश में कई धर्मशालाएं, उद्यान और सुविधाओं का विकास हुआ।

भैय्याजी जोशी ने कहा कि अंग्रेजों के शासन काल में सेवाओं को संस्था से जोड़ा गया। व्यक्ति के स्थान पर संस्थाएं सेवाकार्यों में संलिप्त रहने लगीं। इसी के अंतर्गत 1860 का धर्मदाय संस्था पंजीकरण कानून बना। सेवा के लिए योजना की जरूरत नहीं होती। सेवा के लिए व्यक्ति की दृष्टि और सेवा करने का मन होना चाहिए। हम पारिवारिक सदस्यों के लिए काम करते समय जो भाव रखते हैं, वही सेवा कार्यों में होना चाहिए।

सरकार व्यवस्थाओं का निर्माण कर सकती है, लेकिन उन व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन के लिए व्यक्तियों को योगदान देना होता है। जरूरतमंद और सेवाभावी व्यक्ति तथा संस्थाओं के बीच सेतु की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि देश में 25 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। ऐसे लोगों की उन्नति के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा।

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