सेवागाथा-अंतिम यात्रा के कंधे

सेवागाथा-अंतिम यात्रा के कंधे

रश्मि दधीचि

सेवागाथा-अंतिम यात्रा के कंधे

नियति ने इस सदी में मानव की सबसे कठोर परीक्षा ली है कोरोना महामारी के रूप में। आज शोक संतप्त परिवार अपना दुःख अपनों के कंधे पर सर रखकर हल्का नहीं कर सकते। विडंबना तो यह है कि पॉजिटिव मरीजों के अंतिम संस्कार में बेटा-बेटी, पत्नी जैसे सबसे नजदीकी रिश्ते भी शामिल होने से डर रहे हैं। परंतु कुछ सेवादूत ऐसे हैं जो सिर पर केसरिया बाना सजाए अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना उन लोगों की अर्थी को कंधा दे रहे हैं, जिन्हें उनके अपनों ने भी छोड़ दिया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक तन- मन-धन से समाज के इन लोगों के साथ न सिर्फ उनका दुख दर्द बांट कर उनके इस कठिन समय में उन्हें हौसला दे रहे हैं, बल्कि परिजनों व रिश्तेदारों की भूमिका भी निभा रहे हैं।

बात करते हैं उज्जैन की, यहां विवेकानंद कालोनी से सूचना आई कि मूंदड़ा जी का स्वर्गवास हो गया है, उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी के लिए घर में केवल एक ही व्यक्ति है। उन्हें सहायता की आवश्यकता है, तुरन्त विवेकानंद बस्ती के बस्ती कार्यवाह नवनीत जी मालाकार व बस्ती प्रमुख सहायता हेतु पहुंचे। घर के अंदर से लेकर शव शय्या बनाकर, शव वाहन तक कन्धा लगाकर स्वयंसेवकों ने उन्हें अंतिम यात्रा के लिए विदा किया।

सेवागाथा-अंतिम यात्रा के कंधे

वहीं, इन्दौर में खजराना के समीप गोयल विहार कॉलोनी में एक वृद्ध दंपत्ति ने अपने यहां काम करने वाली एक महिला का अंतिम संस्कार तो कर दिया, किंतु अस्थियों का विसर्जन कौन करता। संघ के विभाग सेवा प्रमुख अशोक अधिकारी बताते हैं कि जब इसकी जानकारी नजदीक में रहने वाले स्वयंसेवक हितेश शर्मा एवं रोहित सिरोटा को हुई तो उन्होंने घाट पर जाकर अस्थि विसर्जन के कार्य को पूरी श्रद्धा व सम्मान से किया।

उज्जैन से लेकर केरल तक महामारी से जूझते लोगों के बीच अनवरत संघ की ये सेवायात्रा जारी है। हर दिन इस यात्रा में कुछ स्वयंसेवक कोरोना का शिकार होकर सदा के लिए विदा ले रहे हैं, किंतु मां भारती के ये लाडले फिर भी अनवरत जूझ रहे हैं।

केरल में तिरुवल्ली के रहने वाले विनोद थॉमस ने जब तिरुवनंतपुरम के हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली तब उनके साथ कोई नहीं था। तो सेवाभारती के कार्यकर्ताओं ने पीपीई किट पहनकर उनके शव को  थुलपल्ली के कैथोलिक चर्च के कब्रिस्तान में लाकर दफनाया। वहीं, कोरोना संक्रमित 71 वर्षीय रामाराजन को अंतिम विदाई संघ के तालुका बौद्धिक प्रमुख मुकेश व मनीकुट्टन सहित कुछ सेवाभारती कार्यकर्ताओं ने दी।

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