बच्चियों के अपहरण, बलात्कार व छेड़छाड़ की घटनाओं से प्रदेश त्रस्त
जयपुर, 27 जनवरी। अलवर मूक बधिर दुष्कर्म प्रकरण में प्रशासन की असंवेदनशीलता से जनता उबरी भी नहीं थी कि अब इसी जिले से 5 वर्षीय बालिका से बलात्कार का समाचार सामने आया है। शक पड़ोस में रहने वाले युवक पर है।
इससे पूर्व गत सोमवार को पाली के तखतगढ़ थाना क्षेत्र में भी एक 10 वर्षीय बालिका से बलात्कार तथा हत्या कर शव कुएँ में फेंक देने का मर्मांतक समाचार सामने आया था। ग्रामीणों ने आरोपी पड़ोसी युवक की पिटाई कर पुलिस के हवाले कर दिया, किंतु घटना कई प्रश्न खड़े कर गई। एक समाज के रूप में हम कहाँ जा रहे हैं? संचार माध्यमों से फैलती अश्लीलता हमारी बच्चियों की जान पर भारी पड़ रही है, किंतु इस पर मौन क्यों है? अपराध करते समाज कंटकों को प्रशासन का भय क्यों नहीं रोक पा रहा?
नाबालिग से दुष्कर्म की एक और हालिया घटना राजधानी जयपुर की है, जहाँ कुंडा के निकट एक मैरिज गार्डन से 15 वर्षीय बालिका का अपहरण व बलात्कार हुआ। अज्ञात व्यक्ति तथा उसका साथी बालिका को बहाने से मैरिज गार्डन के बाहर ले गए व दुष्कर्म किया। नाबालिग द्वारा विरोध होने पर उसका मुँह दबाकर पीटा तथा घायल हालत में छोड़कर दोनों फरार हो गए।
इसी क्षेत्र में एक और प्रकरण सामने आया है। जयसिंहपुरा खोर थाना में एक माँ अपनी पीड़ा लेकर पुलिस के पास पहुंची। उसका आरोप था कि वह जब भी अपनी बेटी के साथ बाजार जाती है, वहाँ कुछ बदमाश छेड़छाड़ करने लगते हैं। पहले-पहल उन्हें दुर्लक्ष करने का प्रयास किया तो उनकी हिम्मत बढ़ गई। अब वे गलत अंगों पर हाथ मारते हैं और हाथों पर दाँत से काटने, लड़की को खींचकर ले जाने के प्रयास तक करने लगे हैं।
डूंगरपुर में भी 9वीं कक्षा की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का समाचार सामने आया। 24 जनवरी को 15 वर्षीय नाबालिग छात्रा मध्याह्न अवकाश में विद्यालय से निकली तो उसी के विद्यालय के 12वीं कक्षा के दो छात्र उसे डरा-धमकाकर स्कूल से कुछ दूर जंगल में ले गए तथा उसके साथ दुराचार किया। बाद में बालिका को घायल अवस्था में घर के बाहर छोड़कर भाग निकले।
प्रशासन सक्रिय होने की बजाय घटनाओं को दबाने में लगा है। उदाहरण के लिए चूरू में एक युवती के अपहरण व मतांतरण के षड्यंत्र को मात्र गुमशुदगी कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
ज्ञात समाचार के अनुसार चूरू के कोतवानी थाना क्षेत्र में लगभग तीन सप्ताह पूर्व इरफान तथा उसके साथियों ने मिलकर एक 21 वर्षीया युवती का अपहरण कर लिया। परिजन प्रकरण को लेकर कोतवाली थाने गए तो पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज न कर केवल गुमशुदगी दर्ज की। युवती के जबरन मतांतरण तथा अहित की आशंका से परिजन विचलित दिखे। इस पर प्रशासन की निष्क्रियता देखते हुए हिंदू संगठनों को प्रदर्शन कर एसपी को ज्ञापन सौंपना पड़ा।
भीलवाड़ा में मूक बधिर से दुराचार की घटना में भी पुलिस अब तक कई बार वक्तव्य बदल चुकी है।
राजस्थान में नाबालिग बालिकाओं व किशोरियों के विरुद्ध बढ़ते अपराधों ने पूरे समाज को चिंतित कर दिया है। प्रशासन की निष्क्रियता व लीपापोती ने असामाजिक तत्वों की हिम्मत बढ़ा दी है। बच्चियों के अपहरण, बलात्कार व छेड़छाड़ की घटनाओं से प्रदेश त्रस्त है। समाज में आक्रोश बढ़ रहा है। बच्चियों की सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए समूचे प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारना सरकार की प्राथमिकता बने।