अफीम
वेब सीरीज और फिल्में गाली- गलौज, अश्लीलता, हिंसक मारकाट परोस रही हैं, जिसके प्रभाव में बच्चे युवा महिलाएं और पुरुष सब आ रहे हैं। परंतु इस तरह की चीजों में लोगों को अफीम क्यों नहीं नजर आती?
शुभम वैष्णव
अफीम एक ऐसा पदार्थ है जो व्यक्ति को चेतना शून्यता का आभास देता है। अफीम व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक गतिविधियों को शिथिल कर देती है। अफीम का सेवन करने वाला व्यक्ति उसका आदी हो जाता है। कई लोग तो धर्म को भी अफीम की संज्ञा देते हैं। परंतु क्या धर्म को अफीम की संज्ञा देना उचित है? धर्म का अर्थ व्यक्ति में मानवता, उदारता, समरसता और समानता का उद्भव करना है।
वर्तमान में भारत में दूरदर्शन पर पौराणिक गाथाएं – रामायण व महाभारत का प्रसारण हो रहा है और काफी संख्या में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और पुरुष इन इन्हें देख रहे हैं। यही बात कई लोगों को अच्छी नहीं लग रही है। तभी तो कुछ लोगों की दलील है कि सरकार दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत का प्रसारण करके लोगों को अफीम दे रही है।
लगता है अफीम तो इन लोगों ने खा ली है तभी तो उन्हें पौराणिक धारावाहिकों का प्रसारण पच नहीं रहा है। उन्हें यह क्यों नहीं दिखाई देता कि इन धारावाहिकों में मर्यादित आचरण एवं संस्कारित जीवन की झलक दिखाई देती है जिससे लोगों को एक शिक्षाप्रद जीवन की प्रेरणा मिल रही है।
जबकि दूसरी ओर कई वेब सीरीज और फिल्में गाली- गलौज, अश्लीलता, हिंसक मारकाट परोस रही हैं, जिसके प्रभाव में बच्चे युवा महिलाएं और पुरुष सब आ रहे हैं। परंतु इस तरह की चीजों में लोगों को अफीम क्यों नहीं नजर आती? जबकि ये वेब सीरीज और फिल्में समाज में कई तरह के अपराधों को जन्म दे रही हैं। अफीम का कार्य तो ये फिल्में और वेब सीरीज कर रही हैं जो विशेष रूप से बच्चों और युवाओं को इनका आदी बना रही हैं। जिसके कारण आयु से पहले ही बच्चे और युवा गलत आदतों का शिकार हो रहे हैं।
हम सब का कर्तव्य है कि हम अपने परिवार के युवा और बच्चों को इस तरह अमर्यादित और अश्लील फिल्मों का शिकार होने से बचाएं।