परिवर्तन

आज देखो 20 सेकंड की गिनती सबने रट ली है। बाहर से आओ चाहे बाहर जाओ, उसके बाद 20 सेकंड तक हाथ धोना सबको आ गया है। अब 20 सेकंड की उपयोगिता 24 घंटों से भी बढ़कर हो गई है।

शुभम वैष्णव

समय बदला और समय के साथ व्यक्ति भी बदला और यही परिवर्तन की कड़ी समाज में परिवर्तन ला रही है। शायद आज जितना परिवर्तन हुआ है।हमारी जीवन शैली में इतना पहले कभी नहीं हुआ। परिवर्तन के कुछ अनोखे अंदाज आप सबको नजर आ रहे हैं घर में और समाज में भी। कल तक तो लोगों के पास एक सेकंड का भी समय नहीं था। सब बस व्यस्तता की दुहाई देते फिरते थे। किसी से भी पूछो तो बस एक ही जवाब मिलता, काम में व्यस्त हैं। आज देखो 20 सेकंड की गिनती सबने रट ली है। बाहर से आओ चाहे बाहर जाओ, उसके बाद 20 सेकंड तक हाथ धोना सबको आ गया है। अब 20 सेकंड की उपयोगिता 24 घंटों से भी बढ़कर हो गई है। कल तक लोग ब्रांड का गुणगान करते फिरते थे। हमारा एक साथी मित्र बार-बार ब्रांडेड कपड़े, ब्रांडेड मोबाइल, ब्रांडेड साबुन व ब्रांडेड जूते दिखाकर इनका गुणगान करता नहीं थकता था। आज जब उसकी थकावट दूर हुई तो उसके विचार भी बड़ी तेजी से बदल गए। अब उसका मानना है कि ब्रांडेड वस्तुएं नहीं अपितु जीवन में ब्रांडेड सोच और ब्रांडेड सेहत का होना जरूरी है। अब उसका ब्रांडेड ज्ञान और ब्रांडेड होने की सनक पूरी तरह से बदल चुकी है। आज लोग भलीभांति जान गए है कि किसी भी साबुन से हाथ धो लो क्योंकि सभी साबुन हाथों को संक्रमण मुक्त करते हैं, फिर चाहे साबुन की कीमत 10 रुपए से लेकर 500 रुपए तक कुछ भी क्यों न हो।

कल तक नजदीक रहकर भी दूर रहने वाले लोग अब दूर दूर रहकर भी सभी से जुड़ गए हैं। रिश्तों का भी गुणा, भाग करने वाले लोग भी रिश्तों को जोड़ रहे हैं और रिश्तों का एक नया गणितीय सूत्र स्थापित कर रहे हैं।

घर से बाहर घूमने वाली दुनिया अब घरों में कैद है। बहुत कुछ परिवर्तित हुआ है और यही परिवर्तन अब परिवर्तित युग की शुरुआत कर रहा है। इसके लिए हम सबको तैयार रहना होगा।

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