हमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम की

हमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम की

 बृजेन्द्र सोनी

हमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम कीहमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम की

 

जिसकी खातिर पुरखों ने जीवन के बलिदान दिये।

बहनों ने राखी बलिदान करी, माँओं ने बेटे दान दिये।

जाने कितने रण का लेखा, सरयू की पावन धार में।

लाखों शीश चढ़े भक्तों के, इसके पावन शृंगार में।

तब जाकर बेला आई है, मंदिर के निर्माण की।

हमें भव्यता वापस लानी है अवधपुरी के धाम की।।

याद हमें है सन् नब्बे की, वो काली रातें अंधियारी।

कोई परिंदा घुस ना जाये, फरमान यही था सरकारी।

पग पग था संगीनी पहरा, सरकार मुलायम हत्यारी।

जिसने भक्तों के सीने पर, चुन चुन कर गोली मारी।

सरयू रक्त से लाल हो गई, और रोई धरा श्री राम की।

हमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम की।।

हनुमान गढ़ी से हनुमान ने, हुंकार भरी फिर बानवे में।

ऐसा झटका दिया गदा का, भगदड़ मच गई कुनबे में।

छः दिसम्बर याद रहेगा, सब असुरों की संतानों को।

अब नींद नहीं आती है तबसे, धरती के शैतानों को।

ध्वजा सनातन जबसे फहरी, भगवे के अभियान की।

हमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम की।।

कालनेमि अब भी भारत में, चाल बदल कर आये हैं।

फिर से कुछ मारीच यहाँ पर, खाल बदल कर आये हैं।

जात पांत का राग लिये, कुछ वंशज हैं अंग्रेजों के।

कुछ मुगलों के जाये हैं, कुछ खास यहाँ चंगेजों के।

हैं कुछ और बहुरूपिए भी, जो त्रिपुण्ड लगा कर बैठे हैं।

हे हिन्दू हो जा सावधान, सब झुण्ड बना कर बैठे हैं।

जय बोलो, सब मिलकर बोलो, रघुपति राजा राम की।

हमें भव्यता वापिस लानी है अवधपुरी के धाम की।।

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