भारत को जगद्गुरु बनाने में शिक्षकों को निभानी होगी अहम भूमिका- घनश्याम
भारत को जगद्गुरु बनाने में शिक्षकों को निभानी होगी अहम भूमिका- घनश्याम
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की ओर से स्वाधीनता का अमृत महोत्सव के अवसर पर डूंगरपुर, सागवाड़ा, बांसवाड़ा, सलूम्बर और भिंडर में ‘इंडिया से भारत की ओर’ नामक व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ। 3-5 सितम्बर तक आयोजित होने वाली इस व्याख्यानमाला में अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के राजस्थान प्रदेश संगठन मंत्री घनश्याम मुख्यवक्ता के रूप में आमंत्रित थे। सलूम्बर में उपस्थित शिक्षक समूह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति ने हमें हमेशा दिग्भ्रमित किया है। ऐसे में हमें सदैव जागृत रहकर सद्साहित्य का ज्ञान अर्जित कर तदनुरूप समाज को सही राह व दिशा देनी होगी। यह महती जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है। उन्होंने स्वाधीनता के अमृत महोत्सव की जानकारी देते हुए कहा कि 15 अगस्त 1947 को इंग्लैंड का झण्डा हटा, लेकिन क्या भारत आज भी सही मायने में स्वतंत्र हो पाया? स्वतंत्रता आन्दोलन में नारियों व वीर महापुरुषों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता, किन्तु बलिदानियों की आत्माएं क्या हम पर गर्व कर सकती हैं? विदेशी राज गया, लेकिन क्या स्वाधीनता के 75 वर्ष बाद भी वह पूर्णरूप से चला गया? क्या अपना राज / तंत्र आया? उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने इस देश की शिक्षा व्यवस्था को समाप्त कर, हमें हमारे गौरवपूर्ण अतीत से दूर कर, हमें पाश्चात्य मानसिकता का दास बना दिया। उन्होंने कहा कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। लेकिन हमें सौ प्रतिशत गरीबी मिली, जो अंग्रेजों की देन है। अब भारत को सोने की नहीं, जागने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत को वस्तु विनिमय के रूप में सोना प्राप्त होता था। भारत पूर्व से ही जगद्गुरु था। अत: प्रत्येक शिक्षक को इण्डिया से भारत बनाने में अपनी अहम भूमिका निभानी होगी। देश को फिर से जगद्गुरु बनाना होगा।
संगठन के प्रदेश सभाध्यक्ष अरविंद व्यास ने कहा कि हम स्वाधीन तो हुए, परंतु दायित्ववानों की सत्तालोलुप नीतियों के कारण आज भी अपना तंत्र विकसित नहीं कर पाए।
इस अवसर पर संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अभय सिंह राठौड़, जिला संगठन मंत्री कृष्ण कांत पानेरी, जिला मंत्री गणेश सहित संगठन के अनेक पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।