इलाज

धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए नासूर बनकर कश्मीर में आतंकवाद के कीटाणुओं को पोषित कर रहे थे। परंतु जनता ने निर्भीक चिकित्सक को इसके इलाज के लिए चुना, जिसने इस नासूर लगे धारा 370 और 35 ए के सड़े अंग को ही काट कर अलग कर दिया।

शुभम वैष्णव

किसी भी बीमारी का इलाज चिकित्सक द्वारा भिन्न-भिन्न उपायों से किया जाता है। बीमारी की अवस्था के अनुरूप ही उपचार की विधियों का आविष्कार किया गया है, उदाहरणार्थ साधारण बीमारी का इलाज दवाइयों से ही संभव हो जाता है, गंभीर बीमारी का इलाज शल्य क्रियाओं के द्वारा किया जाता है, यानि जैसा रोग वैसा ही उपचार।

अब भारत में पनपाई गई एक गंभीर बीमारी के इलाज की बात बताता हूं, यह बीमारी थी कश्मीर में लागू धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए। जब भी धारा 370 के इलाज की बात आती तो कुछ सांप्रदायिक ताकतों के पेट में मरोड़ उठने शुरू हो जाते थे। इसको हटाने की बात करने भर से कुछ लोग अंजाम भुगतने की थोथी धमकियां देने लग जाते थे। धारा 370 और अनुच्छेद 35 ए नासूर बनकर कश्मीर में आतंकवाद के कीटाणुओं को पोषित कर रहे थे। परंतु जनता ने निर्भीक चिकित्सक को इसके इलाज के लिए चुना, जिसने इस नासूर लगे धारा 370 और 35 ए के सड़े अंग को ही काट कर अलग कर दिया।

यदि यही शल्य चिकित्सक इस देश को वर्षों पूर्व मिल जाता तो शायद कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़कर नहीं भागना पड़ता और कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में शरणार्थियों की तरह रहकर जीवन नहीं गुजारना पड़ता।

याद रखें किसी भी रोग का इलाज एक अच्छा चिकित्सक ही कर सकता है। इसलिए हमें यदि स्वस्थ रहना है तो अच्छे डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए एवं चिकित्सक द्वारा दी गई सभी सलाहों का अवश्य पालन करना चाहिए क्योंकि हमारा और देश का स्वास्थ्य हमारे ही हाथ में है।

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