कर्म को तू धीर कर
कर्म देख रहे हैं तुझे, तू सब पापों का नाश कर,
कर अपने हाथों पर यकीन, इनका अब तू विश्वास कर।
ना रुक तू, ना झुक तू, ना हो कहीं पर बेसबर,
वो देख रहा है, वो जान रहा है, जिसको है सबकी खबर।
कर्म का तू ध्यान कर, कर्म को तू मान कर,
कर्म को तू धीर करके, खुद को कर्मवीर कर।
शस्त्र हो या अस्त्र हो या कोई मायावी वस्त्र हो,
खुद पर तू कर यकीन, तलाश कर खुद की ज़मीन,
वक़्त को तू थाम ले, अपने रक्त को उबाल दे।
कर्म का तू ध्यान कर, कर्म को तू मान कर,
कर्म को तू धीर करके, खुद को कर्मवीर कर।
नारी को तू मान दे, वीर का तू सम्मान कर,
धरती पे स्वयं को वार के, अपने संस्कारों को तू धनवान कर,
राम राज्य हो या कृष्ण चरित्र हो, ये फिर से तू लाएगा, बच्चा बच्चा भी फिर वीर कहलाएगा।
कर्म का तू ध्यान कर, कर्म को तू मान कर,
कर्म को तू धीर करके, खुद को कर्मवीर कर।
तू विचार कर, ना विराम कर, शत्रुओं का काल बनके उनका तू संहार कर,
देश हो, समाज हो या किसी निर्दोष की आवाज़ हो,
इन सबके तू काम कर, तू निष्काम रूप से काम कर।
कर्म का तू ध्यान कर, कर्म को तू मान कर,
कर्म को तू धीर करके, खुद को कर्मवीर कर।
स्वयं पर ना संदेह कर, स्वयं को तू अजेय कर,
कर नाम रोशन सबका और भारत माता की विजय कर।
कर्म का तू ध्यान कर, कर्म को तू मान कर,
कर्म को तू धीर करके, खुद को कर्मवीर कर।
यश शर्मा