कांट्रेक्ट फार्मिग से किसान खाद्यान्न श्रंखला का हिस्सा बन सकेगा – प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा
नोएडा, 13 फरवरी। प्रेरणा मीडिया एवं प्रेरणा शोध संस्थान न्यास द्वारा आयोजित कृषि बिल और किसान विषय पर हुए वेबिनार में प्रो. जेपी शर्मा (कुलपति, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू) और प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा (कुलपति, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा) उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कृषि बिलों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार लाइसेंस कोटा समाप्त होने पर उद्योग जगत को लाभ पहुंचा, उसी प्रकार इस कृषि बिल से किसानों की आय बढे़गी। उन्होंने कहा कि किसान को खाद्यान्न श्रंखला का भाग बना कर ही किसान की आय बढ़ सकती है। पिछले 30 वर्षों में किसान की आय में एक ठहराव आ गया है। किसान को उसकी फसल का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाता है। अंतिम उपभोक्ता जितनी कीमत देता है उसका लगभग 23 प्रतिशत ही किसान तक पहुंच पाता है और बाकी का 77 प्रतिशत बिचौलिया ले जाता है। वर्तमान कृषि बिल किसान को मध्यस्थों के चंगुल से मुक्त कराकर किसानों को उसकी उपज का उचित मूल्य दिलाने का ही प्रयास है। इस बिल में किसानों को आवश्यक स्वायत्ता दी गयी है, जिससे वह अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सके। इस कृषि बिल से न तो वर्तमान मंडियों का उन्मूलन हो रहा है और न ही एमएसपी को खत्म किया जा रहा है। प्रो. भगवती प्रकाश ने कृषि बिल में कांट्रेक्ट फार्मिंग के लाभ गिनाते हुए बताया कि कांट्रेक्ट फार्मिंग से किसान खाद्यान्न श्रंखला का हिस्सा बन सकेगा और उसे अपनी उपज को बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। जिस प्रकार कांट्रेक्ट दुग्ध उत्पादन से भारत में श्वेत क्रांति आयी और आज भारत पूरे विश्व में दुग्ध उत्पादन में पहले स्थान पर है। उसी प्रकार यह कृषि बिल भी किसानों को कांट्रेक्ट फार्मिंग से जोड़कर भारत को विश्व खाद्यान्न उत्पादन में पहले स्थान पर ला सकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. जेपी शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि आज किसान की सबसे बड़ी जरूरत है कि फसल कटने के बाद किसान को हुए घाटे को खत्म किया जाए। ऐसा तभी हो सकता है जब किसान को विश्व बाजार में उपज बेचने की स्वतंत्रता हो और इसके लिए वह उपज का मूल्य संवर्धन कर सके। इस कृषि बिल में ये दोनों आवश्यक बातें सुनिश्चित की गयी हैं। प्रो. जेपी शर्मा ने कहा कि आज किसान की फसल के सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था की भी आवश्यकता है। भारत में छोटे और मझोले किसान 80 प्रतिशत हैं, जिनको सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। उन्हें अपनी उपज भी कम कीमत पर बेचनी पड़ती है। यह कृषि बिल ऐसे किसानों के लिए वरदान साबित होगा।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डा. अनिल त्यागी (सह प्रांत प्रचार प्रमुख, मेरठ प्रांत) ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया। साप्ताहिक वेबिनार का संचालन डा. अखिलेश मिश्र (विभागाध्यक्ष किसान पी.जी. कालेज, गाजियाबाद) ने किया।