काबा ‘काव्य’ का ही विकृत नाम

काबा ‘काव्य’ का ही विकृत नाम

प्रागैस्लामी अरब में हिंदू-संस्कृति- (भाग-19)

गुंजन अग्रवाल

काबा ‘काव्य’ का ही विकृत नाम

विद्वानों के एक वर्ग का मत है कि काबा शब्द की व्युत्पत्ति काव्य शब्द से हुई है, जो दैत्य-गुरु शुक्राचार्य का नाम व उपाधि है। शिवोपासना की दो परम्पराएँ हैं। पहला, वे जो सात्त्विक भाव से दिव्य गुणों को पाने के लिए सोमवार को (सोम व चन्द्र शिव को इतना प्रिय है कि वे इसे सिर पर धारण करते हैं) शिवाराधना करते हैं। दूसरे वे लोग हैं जो सम्पत्ति, शक्ति, इन्द्रिय-सुख और अहं, जो दूसरों को सताने के लिए आवश्यक है (जैसे रावण, त्रिपुरासुर, भस्मासुर आदि ने किया), आदि असुर-सम्पदा के लिए दैत्य-गुरु शुक्राचार्य के दिन शुक्रवार को शिवोपासना करते हैं। (1)  अति प्राचीनकाल में अर्वस्थान में तमोगुणी असुर अपने गुरु शुक्राचार्य की उपासना करते थे। शुक्राचार्य कवि के पुत्र थे, इसलिए उन्हें उशना काव्यभी कहा गया है

बृहस्पतिर्देवानां पुरोहित आसीदुशना काव्योऽसुराणाम्। (2)

अर्थात् बृहस्पति देवों के पुरोहित थे और उशना काव्य (शुक्राचार्य) असुरों के।

इनका मन्दिर मक्का में स्थापित था। यही काव्यकालांतर में काबा अभिहित हुआ। इसी कारण अरबी-भाषा में शुक्र का अर्थ बड़ाअर्थात् जुम्मा किया गया और इसी से अरबवासियों ने सामूहिक प्रार्थना के लिए शुक्रवार का चयन किया। (3)

विद्वानों के एक दूसरे वर्ग का मत है कि काबा तमिळ-भाषा का शब्द है। यह तमिळनाडु-स्थित कबालेश्वर मन्दिर’, जिसमें शिव को कबालीकहा गया है, से उद्भूत है। इस निष्कर्ष से भी काबा, प्रागैस्लामी कबालीश्वरम् मन्दिरही सिद्ध होता है।

(लेखक महामना मालवीय मिशन, नई दिल्ली में शोध-सहायक हैं तथा हिंदी त्रैमासिक सभ्यता संवादके कार्यकारी सम्पादक हैं)

संदर्भ सामग्री

1. ‘Scholars are of the opinion that the word KAABA is derived from the word KAVYA, which is the name and the title of KAVI SHUKRACHARYA in all Sanskrit lexicons there are two tradi­tions of Shiva worship. Those who want to worship Shiva for divine virtues of noble life; they worship SHIV on the Monday the day of the Moon (which is so dear to Him that he has made it as His Crest-Jewel). Those who want to worship Shiva for Wealth, Power, Lust and Ego; essential for plundering others (as done by Ravana, Tripasuara, Bhasmasura etc.) they worship Shiva for Asur, Sampada on Friday (Shukra Var)’​—Influence of Hindu Culture on Various Religion, pp.8-9
2. जैमिनीयब्राह्मण, 1.125
3. …the day in the memory of Shukracharya, the priest of the Asuras. It is interesting coinci­dence that Arabs have selected Friday for their Congregational prayers.’ —Influence of Hindu Culture on Various Religion, pp.8-9

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