राजस्थान में भारतीय किसान संघ का मजबूत आधार, सदस्य संख्या आठ लाख से अधिक

राजस्थान में भारतीय किसान संघ का मजबूत आधार, सदस्य संख्या आठ लाख से अधिक

राजस्थान में भारतीय किसान संघ का मजबूत आधार, सदस्य संख्या आठ लाख से अधिक

जयपुर। देश में नये कृषि कानूनों को लेकर चाय के प्याले में तूफान खड़ा किया जा रहा है। नामधारी किसान संगठन ताल ठोककर धरने पर बैठे हैं। वीआईपी आंदोलन से वास्तविक किसान और मजदूर गायब हैं। किसानों के लम्बरदार बन सड़कों पर जमे लिबरल नेताओं को किसानों की परेशानियों से कोई सारोकार नहीं है। जबकि किसान आज भी हाड़ कंपा देने वाली ठंड में फसलों को पानी दे रहा है। बिजली, पानी और उर्वरक और कृषि दवाईयों के लिए संघर्षरत है।

ऐसे में किसानों के नाम पर चलने वाले तमाम वामपंथी संगठनों की खोखली जमीनी सच्चाई भी सामने आ रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैठकर किसान बिलों को वापस लेने की गलाफाड़ मांग करने वाले राजस्थान के कथित किसान नेताओं के पास तो जनाधार ही नहीं है। प्रदेश के शहरी और व्यक्ति विशेष के प्रभाव वाले क्षेत्रों को छोड़कर कथित किसान संगठन धरातल पर कहीं नहीं दिखाई देते हैं। यही कारण है करीब 27 दिन से किसान आंदोलन चल रहा है, लेकिन राजस्थान में इसका असर शाहजहांपुर को छोड़कर कहीं दिखाई नहीं देता है। यहां भी रस्म अदायगी के अलावा कुछ नहीं है।

इसके विपरीत राष्ट्रीय विचार वाले भारतीय किसान संघ के पास व्यापक जनाधार है। किसान संघ की नींव राजस्थान में पड़ी थी। यहीं से देशभर में विस्तार हुआ। आज किसान संघ देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा किसानों का संगठन है। कृषि कानूनों को लेकर किसान संघ भी असंतुष्ट है, कानूनों में सुधार की मांग कर रहा है, लेकिन किसानों के व्यापक हितों का चिंतन करते हुए।

राजस्थान में किसान संघ के 7 लाख 99 हजार 886 सदस्य है। जोधपुर की फलौदी तहसील में ही किसान संघ के 40 हजार सदस्य हैं। उल्लेखनीय है कि भारतीय किसान संघ की स्थापना 4 मार्च 1979 को कोटा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, प्रसिद्ध भारतीय चिंतक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने की थी। किसान संघ के अनेक संस्थापक सदस्यों में लक्ष्मणसिंह, संग्रामसिंह करड़ जैसे अनेक लोग रहे हैं। संग्रामसिंह का तो आज मंगलवार को ही निधन हुआ है। कई संस्थापक सदस्य जीवित हैं।

राजस्थान के कोटा में ही नवम्बर माह में दत्तोपंत ठेंगड़ी के जन्मशताब्दी वर्ष का समापन हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत समापन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। कार्यक्रम में भागवत ने कहा था- “भारतीय कृषि परंपरा का पोषण और संरक्षण करने के लिए दत्तोपंत ठेंगड़ी ने किसान संघ की स्थापना की। वे एक तपस्वी थे। ठेंगड़ी ने अपने जीवन में सफल खेती का प्रयोग किया और मिलकर उद्यम करने की परंपरा का विकास किया। भारतीय किसान संघ का वैचारिक अधिष्ठान और दर्शन दत्तोपंत ठेंगड़ी के मन की उपज है। कृषि को नया दर्शन और नया तरीका देने का काम उन्होंने किया।”

सड़क पर आंदोलन कर रहे कथित किसान नेता एक बार गांवों में जाकर देखें अन्नदाता कैसे परेशान है–
अलवर जिले के शाहजहांपुर में राजस्थान- हरियाणा सीमा पर शाहजहांपुर में किसान राष्ट्रीय राजमार्ग पर तंबू लगाकर बैठे हैं। राजनीतिक एजेंडे के तहत देश और सरकार को कोस रहे हैं। वहीं राजस्थान के किसानों की समस्या से उन्हें कोई सरोकार नहीं है। ऐसे में किसान संघ विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन कर रहा है। अलवर के बहरोड़ में ही पिछले दिनों संघ ने अन्नदाताओं की विभिन्न मांगों को लेकर एक्सईएन को ज्ञापन दिया। बिजली विभाग की करतूत देखिए, कुएं की मोटर 15 हॉर्सपॉवर की जगह 22:5 हॉर्सपॉवर का लोड करके बिजली के बिल 22: 5 के कर दिये और एक महीने का बिल 66 हजार भेज दिया। साथ ही 55 हजार की सब्सिडी भी दिखा दी। किसान बिजली विभाग के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। समस्याओं को लेकर बहरोड़ एक्सईएन कार्यालय पहुंचे किसानों को चतुर्थ कर्मचारी व गार्ड के अलावा कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं मिला। किसानों को ज्ञापन कार्यालय के बाहर टांगना पड़ा।

स्थानीय किसान विजयसिंह बताते हैं- “जो किसान नेता शाहजहांपुर किसान आंदोलन में जाकर समर्थन कर रहे हैं, वो एक बार बहरोड़ के किसानों से गांवों में जाकर मिल कर देख लें। बहरोड़ के किसानों की हालत क्या है? समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद नहीं हो रही है, कपास खरीदने का केंद्र जब तक खुला तब 80 प्रतिशत किसान अपनी कपास बेच चुके थे, बिजली बिलों की हालत क्या है, ट्रांसफार्मर लाने- ले जाने के लिए लोग खुद अपना इंतजाम कर रहे हैं, बिलों में त्रुटियां आ रही हैं, सुधरवाने के लिए बिजली कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।” ऐसी कई समस्याओं से किसानों को अब भी जूझना पड़ रहा है। यह हालात तो केवल आंदोलन स्थल के आसपास के गांवों के हैं, पूरे प्रदेश में किसान इन्हीं समस्याओं से दो- दो हाथ हो रहा है।

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