घर-घर में गूंजे रामधुनी, दम्पत्ति कर रहा प्रयास

घर-घर में गूंजे रामधुनी, दम्पत्ति कर रहा प्रयास

घर-घर में गूंजे रामधुनी, दम्पत्ति कर रहा प्रयासघर-घर में गूंजे रामधुनी, दम्पत्ति कर रहा प्रयास

  • प्रतिदिन संध्याकाल में हो रहा रामधुन संकीर्तन
  • जयपुर के दंपत्ति ने उठाया बीड़ा 
  • ध्येय राम-नाम संस्कृति को पुर्नजीवित करना

जयपुर। राम नाम ही जीवन का आधार है, फिर क्यों लोग राम राम बोलने से हिचकिचाते हैं? क्यों पाश्चात्य संस्कृति से आए गुड मॉर्निंग ने हमारी नमस्ते और राम राम का स्थान ले लिया है? कैसे हमारी संस्कृति को धूमिल करने की शुरुआत हमारी दिनचर्या के पहले प्रहर से ही शुरू हो जाती है और हमने भी ​इसे आधुनिकता का नाम देकर सहजता से स्वीकार कर लिया है। ये प्रश्न लगातार मन में चल रहे थे और अंतस को झकझोर रहे थे। तभी लगा राजधानी जयपुर के घर-घर में रामधुनी की गूंज हो ऐसे प्रयास करने हैं। ये शब्द हैं जयपुर के हीरापुरा निवासी दम्पत्ति अनीता व सुरेंद्र शर्मा के।

अनीता कहती हैं कि उन्हें घर घर रामधुनी का विचार कोरोनाकाल में आया। उस समय वातावरण भी ऐसा था कि लोग अध्यात्म में सुख ढूंढ रहे थे। तब मैंने और पति सुरेंद्र ने घर-घर रामधुनी करने का निर्णय लिया और इसकी अलख जगाने की ठानी। अनीता इस बात से बहुत प्रसन्न होती हैं कि शुरुआत में दो-चार लोग ही रामधुनी करने बैठा करते थे लेकिन धीरे-धीरे करके संख्या बढ़ी है और आज रामधुनी करते पूरे 30 माह बीत गए। यह क्रम सतत चल रहा है। इन 30 माह यानी ढाई वर्ष में अब तक हजार से अधिक घरों में रामधुनी संकीर्तन हो चुका है। विशेष बात यह है कि रामधुनी करवाने वालों की एडवांस बुकिंग चल रही है।

रामधुनी से इकट्ठा हुए साढ़े 22 लाख रुपए

अनीता बताती हैं कि, प्रतिदिन संध्याकाल 8 से 9 बजे के बीच यह रामधुनी संकीर्तन किया जाता है। इस दौरान दादू दयाल गोशालाओं से लाई गई गुल्लक को भी रख देते हैं। अपनी श्रद्धानुसार लोग इसमें राशि दान करते हैं। तीस महीनों में अब तक लगभग साढ़े 22 लाख रुपए इकट्ठा हुए हैं, जिन्हें गोसेवार्थ गोशाला में दे दिया है। यहां पर लगभग साढ़े चार सौ गायें हैं। आगामी दिनों में हमारा उद्देश्य न सिर्फ जयपुर बल्कि पूरे राजस्थान की गोशालाओं को  आदर्श गोशाला बनाने में सहयोग देना है।

रामधुनी संकीर्तन की टोली

घर-घर जाकर रामधुनी करने के लिए अनीता के साथ उनके पति व कुछ लोगों की एक टोली भी है, जो अपने खर्चे पर आते हैं। इतना ही नहीं अपने साजो सामान लेकर भी पहुंचते हैं। जिसे जो बजाना आता है वो बजा लेता है। सबसे बड़ी बात है कि जिस भी घर में रामधुनी संकीर्तन किया जाता है, वहां पर यह पूरी टोली सिर्फ पानी ही ग्रहण करती है।

रामधु​नी का ‘आध्यात्मिक व वैज्ञानिक’ कारण

यदि रामधु​नी का आध्यात्मिक कारण देखें तो राम शब्द ‘रा’ रकार ‘म’ मकार से मिलकर बना है। ‘रा’ अग्नि स्वरूप है यह हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है। ‘म’ जल तत्व का द्योतक है। जल आत्मा की जीवात्मा पर विजय का कारक है। इस प्रकार पूरे तारक मंत्र “श्रीराम जय राम जय जय राम” का सार है शक्ति से परमात्मा पर विजय। वहीं ‘रामनाम’ उच्चारण की वैज्ञानिकता को समझें तो योग शास्त्र में ‘रा’ वर्ण को सौर ऊर्जा का कारक माना गया है। यह हमारी रीढ़ रज्जु के दायीं ओर स्थित पिंगला नाड़ी में स्थित है। यहां से यह शरीर में पौरुष ऊर्जा का संचार होता है। ‘म’ वर्ण को चंद्र ऊर्जा का कारक अर्थात् स्त्रीलिंग माना गया है। यह ऊर्जा रीढ़ रज्जु के बायीं ओर स्थित इड़ा नाड़ी में प्रवाहित होती है। इसीलिए कहा गया है कि श्वास और निःश्वास तथा निरंतर रकार ‘रा’ और मकार ‘म’ का उच्चारण करते रहने के कारण दोनों नाड़ियों में प्रवाहित ऊर्जा में सामंजस्य बना रहता है। जो मानसिक व शारीरिक बीमारियों को भी दूर भगाता है। अनीता कहती है कि ”राम-राम का जाप करने से लोगों को न सिर्फ आत्मिक शांति ​का अनुभव होगा बल्कि वे भागदौड़ के जीवन में भी सुकून पा सकेंगे। इसलिए रामधुनी हर घर में करने और इसे युवा, बच्चे और बड़ों तक पहुंचाने का उद्देश्य है।”

घर-घर में गूंजे रामधुनी, दम्पत्ति कर रहा प्रयास

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