वैकल्पिक ईंधन के रूप में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ही होगा

वैकल्पिक ईंधन के रूप में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ही होगा

प्रहलाद सबनानी

वैकल्पिक ईंधन के रूप में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ही होगावैकल्पिक ईंधन के रूप में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना ही होगा

भारत अपनी ऊर्जा की कुल आवश्यकता का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा कच्चे तेल के रूप में आयात करता है एवं भारत के कुल आयात में कच्चे तेल की भागीदारी सबसे अधिक है। इससे भारत के विदेश व्यापार में असंतुलन पैदा होता है तथा विदेश व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। कच्चे तेल को परिष्कृत कर पेट्रोल एवं डीजल के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो कि जीवाश्म ऊर्जा की श्रेणी में आता है। इससे कार्बन डाई ऑक्साइड नामक गैस वातावरण में फैलती है और देश का पर्यावरण दूषित होता है। अतः अब समय आ गया है कि भारत में जीवाश्म ऊर्जा के उपयोग को कम करते हुए जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। इस दृष्टि से हाल ही में जी-20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की घोषणा की। 9 संस्थापक सदस्य और 2 पर्यवेक्षक देश इस लॉंचिंग में शामिल हुए। वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के माध्यम से जैव ईंधन के लिए, भारत सदस्य देशों के साथ मिलकर, दुनिया के अन्य देशों को नई राह दिखाने का प्रयास कर रहा है। इस प्रयास से निश्चित रूप से दुनिया भर में ऊर्जा की आवश्यकता के लिए पेट्रोल एवं डीजल पर निर्भरता कम होगी। इस गठबंधन से किसानों को अन्नदात्ता से ऊर्जादाता बनाने में सहायता मिलेगी। इससे किसानों को आय का एक अतिरिक्त साधन प्राप्त होगा।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का शुभारम्भ स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक ऐतिहासिक क्षण है। इस गठबंधन में भारत, सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मारीशस और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हुए हैं। साथ ही, 19 देश और 12 अंतरराष्ट्रीय संगठन भी इस गठबंधन का समर्थन कर चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन, विश्व आर्थिक मंच और विश्व एलपीजी एसोसीएशन का समर्थन भी इस गठबंधन को मिला है। यह संगठन उपभोक्ताओं और उत्पादकों को एक मंच प्रदान करेगा। इसके उद्देश्यों में प्रौद्योगिकी के विकास को सुविधाजनक बनाना, टिकाऊ जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना, हितधारकों की व्यापक स्तर पर भागीदारी से मजबूत मानकों का निर्धारण करना एवं इनके प्रमाण को आकार देना तथा जैव ईंधन के वैश्विक विकास में तेजी लाना शामिल हैं। यह गठबंधन ज्ञान के केंद्रीय संग्रहण और विशेषज्ञ केंद्र के रूप में कार्य करेगा। गठबंधन का लक्ष्य एक ऐसे उत्प्रेरक के रूप में काम करना है जो जैव ईंधन के विकास और व्यापक रूप से इसे अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहन देगा। यह गठबंधन जैव ईंधन को बदलाव के रूप में ऊर्जा स्रोतों के प्रमुख घटक के रूप में स्थापित करने, रोजगार और आर्थिक विकास में योगदान देने का प्रयास भी करेगा।

यह पहल विशेष रूप से भारत के लिए कई मोर्चों पर लाभकारी साबित होगी। इससे प्रौद्योगिकी निर्यात और उपकरण निर्यात के रूप में भारतीय उद्योगों को अतिरिक्त अवसर प्राप्त होंगे। यह भारत के जैव ईंधन कार्यक्रमों जैसे पीएम जीवन योजना और गोवर्धन योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने में सहायता करेगी। किसानों की आय में वृद्धि करने और रोजगार के करोड़ों नए अवसर पैदा करने में और भारतीय ईको सिस्टम के समग्र विकास में भी सहायक होगी।

जीवाश्म ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से भारत वैकल्पिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर काम कर रहा है। ऊर्जा मिश्रण में विविधता लाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसमें सौर, पवन, पनबिजली और परमाणु ऊर्जा के उपयोग का विस्तार करना भी शामिल है। भारत के पास तेल और गैस के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं। सरकार घरेलू एवं विदेशी तेल कम्पनियों को तटवर्ती अपतटीय दोनों तरह के अन्वेषण एवं उत्पादन गतिविधियों में शामिल कर रही है। भारत, परिवहन, औद्योगिक प्रक्रियाओं, प्राथमिकता भवनों सहित, विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता उपायों को प्राथमिकता दे रहा है। इसमें ऊर्जा कुशल तकनीकों को अपनाना, औद्योगिक प्रक्रियाओं का अनुकूलन करना और मजबूत ऊर्जा संरक्षण उपायों को लागू करना शामिल हैं। रणनीतिक तेल भंडार विकसित करना भी भारत के भविष्य के लिए काफी अहम है। साथ ही जीवाश्म तेल में इथेनॉल का सम्मिश्रण भी किया जा रहा है ताकि पेट्रोल एवं डीजल के उपयोग को कम किया जा सके। आज समय की मांग है कि विश्व के समस्त देश ऊर्जा सम्मिश्रण के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करें। भारत ने सुझाव दिया है कि पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रण को वैश्विक स्तर पर 20 प्रतिशत तक ले जाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाएं, अथवा वैश्विक भलाई के लिए कोई और सम्मिश्रण पदार्थ की खोज की जाए, जिससे ऊर्जा की आपूर्ति निर्बाध रूप से बनी रहे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहे।

वर्ष 2022 में वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य 9,906 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, जो एक अनुमान के अनुसार, 5.1 प्रतिशत की सीएजीआर की वृद्धि के साथ, वर्ष 2032 तक 16,212 करोड़ अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। इससे भारत के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे। भारत सरकार अपने तेल बिल आयात में कटौती करना चाहती है और शहरों में कार्बन डाई ऑक्साइड प्रदूषण की मात्रा कम करना चाहती है। इस कार्यक्रम से वर्ष 2025 तक भारत को तेल आयात में लगभग 45,000 करोड़ रुपए और सालाना 6.3 करोड़ टन तेल की बचत होगी। इस कदम से भारत के किसानों को अन्नदाता से ऊर्जादाता बनाने में सहायता मिलेगी और उन्हें आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी प्राप्त होगा।

पूरी दुनिया में जैव ईंधन का 80 प्रतिशत उत्पादन अमेरिका, ब्राजील और भारत में होता है। अमेरिका में विश्व के 50 प्रतिशत जैव ईंधन का उत्पादन होता है। ब्राजील में 30 प्रतिशत, और भारत में केवल 3 प्रतिशत उत्पादन होता है। शेष 17 प्रतिशत उत्पादन विश्व के अन्य देशों में होता है। उत्पादन के साथ साथ सौर ऊर्जा का 80 प्रतिशत उपभोग भी अमेरिका, ब्राजील और भारत में ही होता है। भारत जैव ईंधन के उत्पादन एवं उपभोग क्षेत्र में जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है इससे अब आशा की जा रही है कि भारत शीघ्र ही जैव ईंधन के उत्पादन एवं उपभोग में वैश्विक स्तर पर एक बड़ा केंद्र बन जाएगा।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत करने वाला देश है और भारत की ऊर्जा की आवश्यकता में बड़ा हिस्सा जीवाश्म ऊर्जा के माध्यम से पूरा किया जाता है, जो कि बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। वैश्विक ऊर्जा खपत में भारत के हिस्सेदारी 2050 तक दोगुनी होने की सम्भावना है। ऊर्जा की बढ़ती मांग और आयात पर उच्च निर्भरता महत्वपूर्ण ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियां खड़ी कर रही है। कच्चे तेल के आयात पर विदेशी मुद्रा की भारी भरकम राशि खर्च की जाती है। इसके अलावा जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से उच्च कार्बन उत्सर्जन और स्वास्थ्य सम्बंधी चिंताएं भी खड़ी होती है। अतः घरेलू स्तर पर ईथेनाल खपत के लिए पारम्परिक जीवाश्म ईंधन के साथ सम्मिश्रण करके तेल आयात पर निर्भरता को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत ने वर्ष 2001 में पेट्रोल में ईथेनाल का मिश्रण पायलट आधार पर प्रारम्भ किया था। परंतु, ईथेनाल सम्मिश्रण कार्यक्रम ने दिसम्बर 2014 से गति पकड़ी, जब केंद्र सरकार ने ईथेनाल की खरीद के लिए मूल्य तंत्र विकसित किया और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को जैव रिफाईनरी स्थापित करने के निर्देश दिए। पिछले 7 वर्षों के दौरान ईथेनाल की आपूर्ति वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 322 करोड़ लीटर हो गई। इसी तरह ईथेनाल सम्मिश्रण भी 2013-14 में 1.53 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 8.50 प्रतिशत से अधिक हो गया। मांग में वृद्धि के कारण ईथेनाल निर्माण क्षमता भी 215 करोड़ लीटर से दुगुना होकर 427 करोड़ लीटर सालाना हो गई है। डिस्टीलरीज की संख्या 5 साल में 40 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2014-15 में 157 से बढ़कर वर्ष 2019-20 में 231 हो गई है। केंद्र सरकार ने 20 प्रतिशत इथेनोल मिश्रित पेट्रोल को बेचने का लक्ष्य वर्ष 2023 कर दिया है। 20 प्रतिशत सम्मिश्रण स्तर पर ईथेनाल की मांग वर्ष 2025 तक बढ़कर 1016 करोड़ लीटर हो जाएगी। इसलिए ईथेनाल उद्योग का मूल्य 500 प्रतिशत से अधिक बढ़कर वर्तमान के लगभग 9,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 50,000 करोड़ रुपए हो जाएगा।

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