डॉ. हेडगेवार की जेल से रिहाई पर कांग्रेसी नेताओं ने किया था स्वागत

डॉ. हेडगेवार की जेल से रिहाई पर कांग्रेसी नेताओं ने किया था स्वागत

डॉ.रामकरण शर्मा

डॉ. हेडगेवार की जेल से रिहाई पर कांग्रेसी नेताओं ने किया था स्वागतडॉ. हेडगेवार की जेल से रिहाई पर कांग्रेसी नेताओं ने किया था स्वागत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉहेडगेवार तत्कालीन विदर्भ प्रांत के बड़े कांग्रेसी नेता थे। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण उनको हुई जेल की सजा भुगतने के बाद रिहा होने पर मोतीलाल नेहरू, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जैसे बड़े कांग्रेसी नेता भी उनका स्वागत करने आए हजारों लोगों के साथ स्वागतार्थ उपस्थित थे।

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रारम्भ करने से पूर्व कांग्रेस के सक्रिय सदस्य एवं महाराष्ट्र में स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेता थे। स्वातंत्र्य आंदोलन में सक्रिय होने के कारण न्यायालय ने 5 अगस्त, 1921 के दिन डॉहेडगेवार को एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।

जेल से मुक्ति का शताब्दी वर्ष

डॉ. हेडगेवार को 12 जुलाई, 1922 को कारागृह से मुक्ति मिली। यह वर्ष उस घटना का शताब्दी वर्ष है। जिस दिन डॉ. हेडगेवार जेल से बाहर आए, उस दिन पं.मोतीलाल नेहरू एवं चक्रवर्ती राजगोपालाचारी जो उस समय के कांग्रेस के बड़े नेता थे, की उपस्थिति में हजारों की संख्या में जनसमूह भारी वर्षा में भी डॉहेडगेवार के स्वागत के लिए नागपुर के व्यंकटेश भवन के अंदर एवं बाहर उपस्थित था। यह समाचार उस समय महाराष्ट्र के महाराष्ट्र नामक समाचार पत्र में छपा था।

लगाया गया था देशद्रोह का आरोप

ब्रिटिश सत्ता ने सात वर्ष पूर्व ही डॉहेडगेवार को संभावित खतरनाक राजनैतिक अपराधियों की सूची में सम्मिलित कर दिया था। डॉहेडगेवार की बढ़ती सत्ता विरोधी गतिविधियों के कारण ही मई 1921 में औपनिवेशिक सरकार ने उन्हें दण्डित करने का मानस बना लिया था। इसके लिए 24 अक्टूबर, 1920 को कटोल एवं भारतवाडा की सभाओं में दिए गए उनके दो भाषणों को आधार बनाया गया। डॉहेडगेवार ने इन दोनों सभाओं में अध्यक्षता की थी। सरकार की दृष्टि में डॉहेडगेवार अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध घृणा पैदा करने तथा उसे पलट देने के भड़काऊ भाषण देने के दोषी थे। डॉहेडगेवार ने औपनिवेशक सत्ता की अमानवीय, अनैतिक, अवैधानिक एवं क्रूर कहकर भर्त्सना की थी।

न्यायालय में दिया गया वक्तव्य माना गया अधिक खतरनाक

विचारण के समय डॉहेडगेवार ने अपने पक्ष में जो बोला था उसके बारे में पीठासीन मजिस्ट्रेट ने कहा कि डॉहेडगेवार का बचाव में दिया गया वक्तव्य तो पहले दिए गए भाषण से भी अधिक देशद्रोहपूर्ण है। कारावास में डॉहेडगेवार ने 13 अप्रैल, 1922 को जेल में ही जलियांवाला बाग काण्ड दिवस मनाने का निश्चय किया। डाक्टर जी की रिहाई के समय उनके कई मित्र डॉबीएस मुंजे, डॉ. एलपी परांजपे, डॉ. एबी खरे, बलवंतराव मण्डेलकर, अप्पा साहेब हैदर, डॉपंचखेड़े एवं वीर हरकरे तथा अन्य इनके स्वागत के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे। डॉहेडगेवार ने उनकी बधाई और फूलों की मालाएं स्वीकार कीं तथा घर की ओर चल पड़े। रास्ते में कई स्थानों पर उनका स्वागत हुआ।

12 जुलाई, 1922 को डॉक्टर जी का स्वागत समारोह चिटनिस पार्क में होना था, किन्तु भारी वर्षा के कारण स्थान बदलकर व्यंकटेश थिएटर में रखा गया।

कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा अभिनंदन

तत्कालीन कांग्रेस के बड़े नेता जैसे पं.मोतीलाल नेहरू, विट्ठल भाई पटेल, हाकिम अजमल खान, डॉअंसारी, सी राजगोपालाचारी, कस्तूरी रंगा अयंगर उस समय नागपुर में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की मीटिंग में सम्मिलित होने के लिए नागपुर आए थे। मीटिंग की अध्यक्षता डॉ. एनबी खरे ने की। इस मीटिंग में भी डॉहेडगेवार का अभिनंदन किया गया, जिस पर उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से प्रसन्नता प्रकट की थी।

पं.मोतीलाल नेहरू एवं हाकिम अजमल खान ने डॉक्टर हेडगेवार के स्वागत में उपस्थित जन समूह को सम्बोधित किया था। हेडगेवार का कई स्थानों पर अभिनंदन हुआ।

अन्य स्रोतों के अलावा, तीन पुस्तकें हैं, जो कुछ विस्तार से बताती हैं कि नागपुर के अजनी क्षेत्र में जेल से रिहा होने पर डॉ. हेडगेवार का जोरदार स्वागत कैसे हुआ। ये पुस्तकें हैं-  नारायणहरि पालकर द्वारा डॉहेडगेवार, एचवी शेषाद्रि द्वारा डॉहेडगेवार:  एपिक मेकर और आधुनिक भारत के निर्माता– डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार राकेश सिन्हा (वर्तमान में राज्य सभा के सदस्य) द्वारा लिखित तथा सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित। ये पुस्तकें उस समय के कई प्रकाशनों का हवाला देती हैं।

1930 में भी हुई सजा

डॉक्टर हेडगेवार ने बाद में भी कारावास की सजा भुगती है। सन 1909 में डॉ. हेडगेवार पर लोगों को ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध उकसाने एवं पुलिस चौकी पर बम फेंकने के आरोप लगे थे। 1930 में आयोजित सविनय अवज्ञा आंदोलन के अंतर्गत जंगल सत्याग्रह का नेतृत्व करने के कारण उन्हें 9 माह का कारावास हुआ। केशवराव को स्कूल के दिनों में अंग्रेज अधिकारी द्वारा निरीक्षण करने के दौरान वंदेमातरम् का उद्घोष करने के कारण विद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था।

स्वतंत्रता के लिए मृत्यु भी स्वीकार्य

डॉक्टर हेडगेवार ने 12 जुलाई, 1922 को आयोजित कार्यक्रम में अपने अभिनंदन के पश्चात् पं.मोतीलाल नेहरू, सी राजगोपालाचारी एवं अन्य की उपस्थिति में बोलते हुए कहा था हमको राष्ट्र के सामने उच्च एवं महान उद्देश्य रखना होगा और पूर्ण स्वतंत्रता से कम कोई भी उद्देश्य किसी काम का नहीं होगा। जनसमूह स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास जानता है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने की किसी भी पद्धति या तरीके के बारे में बताना उनका अपमान होगा। इसके लिए यदि मृत्यु भी देखनी पड़े तो हम व्याकुल नहीं होंगे। स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चलाते समय हमारे उद्देश्य उच्च एवं संतुलित मस्तिष्क से होने चाहिए।

(लेखक विधि विषय के पूर्व आचार्य हैं)

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