तपन घोष, एक नायक जो चुपचाप चला गया

तपन घोष : एक नायक जो चुपचाप चला गया

तपन घोष : एक नायक जो चुपचाप चला गया

तपन घोष, एक नायक जो चुपचाप चला गया। वे संघ के स्वयंसेवक और प्रचारक रहे। उन्होंने पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की दुर्दशा को देखते हुए 2007 में ‘हिंदू समहति’ नाम का एक संगठन बनाया। जिसके माध्यम से वे हिंदुओं को एकजुट करने, उनके मतांतरण को रोकने और हिंदुओं पर अत्याचार करने वालों को जवाब देने का काम करते रहे।

तपन घोष ने तृणमूल शासन और वामपंथियों के द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों का सामना करने के लिए हिंदुओं को संगठित रहने के लिए प्रेरित किया। उनके परिश्रम का ही परिणाम था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जगह-जगह जय श्रीराम के नारे सुनने को मिले।

आज तपन घोष हमारे बीच नहीं हैं। वे कोरोना से संक्रमित हुए और आज उनकी मृत्यु हो गई। वे ऐसे नायक थे जिसने अपना जीवन हिंदुओं को एक करने के लिए बलिदान कर दिया। तपन दा आप सदैव सभी कार्यकर्ताओं के हृदय में निवास करेंगे। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

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