पहली बार हुआ ‘दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय’ का नाट्य मंचन

पहली बार हुआ 'दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय' का नाट्य मंचन

पहली बार हुआ 'दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय' का नाट्य मंचनपहली बार हुआ ‘दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय’ का नाट्य मंचन

  • इतिहास र मांय पहली बार महाराणा प्रताप री दिवेर युद्ध री जीत रो नाट्य रूप में मंचन शेखावाटी साहित्य संगम र मांय कर्यो गयो

जयपुर, 30 सितंबर। 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले शेखावाटी साहित्य संगम में पिछली बार धाय मां पन्ना के बलिदान पर नाट्य प्रस्तुति हुई थी। इसी क्रम में इस वर्ष साहित्य संगम के चौथे संस्करण में शनिवार, 30 सितंबर को ‘दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय’ का पहली बार नाट्य मंचन दीपक भारद्वाज के निर्देशन में यूथ तरंग संस्कृत नाट्य दल, जयपुर द्वारा किया गया।

शेखावाटी साहित्य संगम के संयोजक अभिमन्यु सिंह का कहना है कि इस प्रकार के गौरवपूर्ण व ऐतिहासिक नाट्यों का मंचन भारत के विचार व स्वाभिमान को घर-घर व जन- जन में जागृत करने का कार्य करेगा। विशेषकर युवा पीढ़ी में विजय के भाव जागेंगे। दिवेर राजस्थान ही नहीं, पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित करने वाला विजय तीर्थ स्थल है, जहां एक भव्य विजय स्मारक भी बना है।

साहित्य संगम के संध्याकालीन कार्यक्रमों के संयोजक डॉ. नेकीराम बताते हैं, महाराणा प्रताप द्वारा बहलोल खां को चीरना, 14 वर्ष की आयु में युवराज अमर सिंह का सेनापति सुल्तान खां पर भाले से वार कर, उसे घोड़े समेत चीर देना आदि नाटक के प्रमुख दृश्य थे, जिन्होंने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया। जनजाति सहित सर्व समाज का सहयोग व भामाशाह द्वारा मातृभूमि के लिए अपने सम्पूर्ण धन का समर्पण भावुक कर देने वाले दृश्य थे।

कलाकार मंडली में सह निदेशक संदीप सहित यशस्वी, अर्जुन, देव आदि शामिल थे। इसके लिए सशुल्क टिकट की व्यवस्था शहर के विभिन्न काउंटरों एवं रजिस्ट्रेशन डेस्क पर थी।

कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने अपने विचार रखे। “भारतीय संविधान और भारत का स्व” विषय पर लक्ष्मीनारायण भाला, हिरेन जोशी, इंदुशेखर तत्पुरुष ने अपने विचार रखे।

तत्पुरुष ने कहा कि सेक्युलर शब्द का गलत प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ लौकिक होता है। प्रस्तावना में इसका अर्थ लिखा है पंथनिरपेक्ष। भाला ने कहा स्कंद पुराण के 50वें अध्याय में भारत शब्द का वर्णन मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारी राजभाषा हिन्दी है, लेकिन हम इसे आज तक अपना नहीं पाए हैं। भाला ने कहा कि संसद भवन की दीवारों पर धार्मिक प्रसंग लिखे हैं फिर भारत को धर्मनिरपेक्ष कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान ही “स्व” आधारित नहीं है।

“नागरिक शिष्टाचार” विषय आधारित चर्चा पर नारायण भाला, तत्पुरुष, जोशी और मेजर पूनिया ने अपने विचार साझा किए।

“वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दू” विषय पर इंदुशेखर तत्पुरुष और दीपक गोस्वामी ने चर्चा की।

“युवाओं से संवाद” सत्र में मेजर पूनिया ने युवाओं से चर्चा की।

कार्यक्रम में रेवासा धाम के संत श्री डॉ. राघवाचार्य जी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। महाराज ने कहा कि साहित्य ज्ञानवर्धन का एक अमूल्य साधन है। अज्ञान के कारण व्यक्ति ऐसी अनेक धारणाएं बना लेता है, जिसके बहाव में वो गलत रास्ते पर चला जाता है।

भक्ति संध्या में देश के चर्चित भक्ति रैपर नरसी ने “पता नहीं किस रूप में नारायण मिल जाएं” जैसे भजनों की प्रस्तुति से शेखावाटी की धरा को भक्तिमय किया। नरसी के भजनों को सुनने के लिए युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला।

पर्यावरण विषय पर आयोजित नाटक प्रतियोगिता में सीकर के विभिन्न स्कूलों से आए विद्यार्थियों ने पर्यावरण पर मनमोहक नाटक प्रस्तुतियां दीं। प्रतियोगिता में वर्धमान विद्या विहार सीकर प्रथम, एमके मेमोरियल द्वितीय तथा एसए प्रज्ञा भारती शिक्षण संस्थान ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। श्रीमती गुलाबी देवी विदावत विद्यालय ने सांत्वना पुरस्कार अर्जित किया। स्कूल के विद्यार्थियों ने साहित्य आधारित पुस्तकों का भी अवलोकन किया।

 

भारतीय संविधान और भारत का स्व” विषय पर लक्ष्मीनारायण भाला, हिरेन जोशी, इंदुशेखर तत्पुरुष ने अपने विचार रखे

शेखावाटी साहित्य संगम में रेवासा धाम के संत श्री डॉ. राघवाचार्य जी महाराज

शेखावाटी साहित्य संगम

पहली बार हुआ 'दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय' का नाट्य मंचन
‘दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय’ का नाट्य मंचन

 

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