पत्रकार के लिए विश्वसनीयता उसकी सबसे बड़ी कसौटी- जितेन्द्र तिवारी

पत्रकार के लिए विश्वसनीयता उसकी सबसे बड़ी कसौटी- जितेन्द्र तिवारी
पत्रकार के लिए विश्वसनीयता उसकी सबसे बड़ी कसौटी- जितेन्द्र तिवारीपत्रकार के लिए विश्वसनीयता उसकी सबसे बड़ी कसौटी
अलवर, 7 मई। आज अलवर में, शहर के मध्य स्थित महावर धर्मशाला में देवर्षि नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। भर्तृहरि विचार मंच (अलवर) एवं विश्व संवाद केन्द्र (जयपुर) के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा, विशिष्ट अतिथि उद्योगपति सुनील भरतिया रहे जबकि अध्यक्षता सुनीता चन्द्रशेखर यादव ने की। इस अवसर पर हिन्दुस्तान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेन्सी, दिल्ली के सम्पादक जितेन्द्र तिवारी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलन एवं दीप मंत्र के साथ की।
मुख्य वक्ता जितेन्द्र तिवारी ने कहा कि पत्रकार के लिए विश्वसनीयता उसकी सबसे बड़ी कसौटी है, जिस पर वह कसा जाता है। आज सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता की आवश्यकता है। समाज और संस्कृति को ठीक रखने का उत्तरदायित्व पत्रकारों का है। समाज में हो रहे अच्छे कामों को सामने लाना पत्रकारिता का काम है। सकारात्मक और जनकल्याण की नीतियों को लोगों तक ले जाना और लोगों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना, यह सेतु का काम भी पत्रकारिता का है। सत्ता को बदलना हमारा काम नहीं है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को परखने की कसौटी विश्वसनीयता है, क्या हम उस पर खरे उतर रहे हैं, इस पर चिंतन करना होगा।
उन्होंने सोशल मीडिया की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि समाज जीवन में बहुत कुछ अच्छा हो रहा है। सोशल मीडिया ने हमें वो ताकत दी हैं, जिससे हम सकारात्मक चीजों को ऊपर तक पहुंचा सकते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से परिवारों में संस्कार और समाज को उसके सरोकार से जोड़ने का काम करें। आज परिवार के सामने कई तरह की समस्याएं है। परिवार विघटित हो रहे हैं। एकल हो रहे हैं। परिवार के सामने खड़ी चुनौती से निपटने के लिए हम सभी को प्रयास करने होंगे। उन्होंने एजेंडा आधारित पत्रकारिता करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोग अब विचलित हो रहे हैं। क्योंकि उनके अनुकूल चीजें नहीं हो रही है। ये लोग समाज में हो रहे अच्छे कामों को देखना ही नहीं चाहते, क्योंकि उन्हें तो केवल सत्ता के विरुद्ध लिखना है।
वहीं मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि अलवर में नारद जयंती मनाने की पहल बहुत सुंदर है। उन्होंने कहा कि यह धरती भर्तहरि और हेमचंद्र विक्रमादित्य की है। हेमचंद्र विक्रमादित्य ने मुगलों को हराया। अलवर की धरती ने कभी अधीनता स्वीकार नहीं की। उन्होंने कहा कि भारत में पत्रकारिता का अध्याय उत्कृष्ट है, क्योंकि यह भारतीय संस्कृति से ओत-प्रोत है। भारतीय संस्कृति से हमें यह प्रेरणा मिलती है। भारत में यह कहना कि पत्रकारिता अंग्रेजों से प्रेरित है, यह मात्र प्रलाप है। हमारी पत्रकारिता सनातन से जुड़ी है। भारतीय संस्कृति की आत्मा सत्यता में विश्वास करती है। नारद जी ब्रह्मजी के मानस पुत्र थे। नारद जी से पहले विभिन्न विधाओं का वर्णन पुराणों में नहीं मिलता है। पहले गांव- गांव तक नारद की गलत छवि बना दी गई थी, लेकिन संघ के प्रयासों से आज देवर्षि नारद को पुनः प्रतिष्ठा मिल रही है। संघ ने नारद को सही रूप में प्रस्तुत किया है।

डॉ. शर्मा ने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारों के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि राजस्थान की पत्रकारिता उत्कृष्ट रही है। किसी भी प्रतिष्ठित पत्रकार पर कलंक का कोई धब्बा नहीं है। नारद जयंती के अवसर पर ऐसे पत्रकारों का सम्मान किया गया, जिन्होंने पत्रकारिता में अपनी अलग छाप छोड़ी है, उन्होंने अपने कर्म से पत्रकारिता को दिशा देने का काम किया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही एडवोकेट सुनीता चंद्रशेखर यादव ने कहा कि पत्रकार समाज को दिशा और दशा तय करता है।
कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. महावीर कुमावत ने प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि विश्व संवाद केंद्र देशभर में नारद सम्मान आयोजित करते हैं। कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पत्रकारों को सम्मानित किया जाता है।
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