पंचांग 7 जनवरी 2022
सुविचार
दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थितः।
यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरतः।।
भावार्थ
जो हृदय में विद्यमान है वह दूर रहते हुए भी समीप है, लेकिन जो हृदय के समीप नहीं है वह पास रहते हुए भी दूर है।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।
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