आइंस्टीन, पुराण, अघोरी और प्रेत

आइंस्टीन, पुराण, अघोरी और प्रेत

आइंस्टीन, पुराण, अघोरी और प्रेत

रात्रि के अंतिम शहर में बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन को जकड़ लिया और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा। यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हें भी इस भस्म में मिला दूंगा।

अघोरी बोला- एक कथा सुनो, रेवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लम्बी थी। राजा उसके विवाह योग्य वर खोज कर थक गए और चिंतित रहने लगे। थक हार कर वह योग बल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए। राजा जब वहां पहुंचे तब गंधर्व का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की।

गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा-कहो, कैसे आना हुआ? राजा ने कहा – मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं?

ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले – जब तुम आए तब तक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहां गंधर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर 27 चतुर्युग बीत चुके हैं और 28वां द्वापर समाप्त होने वाला है। अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो। अच्छा हुआ कि तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।

इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो – आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है – मैन एंड स्पेस, उसमें गणना है कि यदि 10 वर्ष का बालक प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाए तो वापस आने पर उसकी आयु 66 वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे।

यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गेमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी –

There was a young girl named miss bright,
Who could travel faster than light.
She departed one day in an Einstein way
And come back previous night.

प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला – यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है। तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे।

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