हनुमानगढ़ : पुस्तकालयों की स्थापना ने खोली जीवन की राह

हनुमानगढ़ : पुस्तकालयों की स्थापना ने खोली जीवन की राह

हनुमानगढ़ : पुस्तकालयों की स्थापना ने खोली जीवन की राह

हर अच्छे उद्देश्य से की गई पहल के परिणाम हमेशा सुखद होते हैं। लेकिन अपने नियमित कामकाज से हटकर कितने प्रशासक ऐसा कर पाते हैं। इस मामले में हनुमानगढ़ जिले के तत्कालीन जिला कलेक्टर पीसी किशन ने जिले में बच्चों के लिए पुस्तकालयों की स्थापना कर एक अनूठी पहल की है।

जिले में पुस्तकालयों के तौर पर रोपे गए बीज की फसल आज जिले भर में लहलहा रही है। पुस्तकालयों से शुरू हुई यह पहल हाल ही में बीकानेर में आयोजित शतरंज टूर्नामेंट में विजेता बनकर उभरी। इन पुस्तकालयों के साथ ही यहां शुरू हुए शतरंज और कैरम रूम में बच्चों ने इन खेलों की बारीकी सीखी और आश्चर्य की बात पिछली जुलाई में यहॉं शतरंज खेलने वाले बच्चे बीकानेर में आयोजित राजस्थान ओपन चैस टूर्नामेंट में दूसरे स्थान पर रहे और पंद्रह हजार रुपए की राशि जीती। इससे पहले यहां शतरंज के बारे में मुश्किल से किसी ने देखा सुना होगा। पीसी किशन पुस्कालयों की स्थापना के बारे में बताते हैं कि यहां बच्चों के सामने कई तरह की समस्याएं थीं और उन तक पहुंचने का एकमात्र जरिया था पुस्तकालय।

पीसी किशन ने शुरुआत में एक बेकार पड़े सरकारी भवन को ठीक करवाकर उसमें न्यूटन के नाम पर पुस्तकालय की शुरुआत करवाई। इसमें एक हजार से अधिक पुस्तकें हैं, जिनमें अधिकांशत: बच्चों से संबंधित हैं। इसके अलावा जॉन मिल्टन, आइंस्टीन, माइकल फराडे, गैलीलियो, यूक्लिड और जगदीश चंद्र बसु जैसे वैज्ञानिकों के नाम पर कुल सात पुस्तकालयों की स्थापना की गई है। पुस्तकालयों की दीवारों को जैमिनी रॉय, राजा रवि वर्मा और अमृता शेरगिल जैसे चित्रकारों की चित्रकारी से सजाया गया है।

पुस्तकालयों की स्थापना का एक असर यह भी हुआ कि जिन क्षेत्रों में पुस्तकालय बने हैं, उनके आसपास के क्षेत्रों में अपराधों में कमी आई है और नशे के मामले में कम हुए हैं। लोग अवैध गतिविधियों के बारे में पुलिस को सूचना देने से अब हिचकते नहीं है। अब जिले में दूरदराज के लोग भी अपने क्षेत्र में पुस्तकालय स्थापना की बात करने लगे हैं।

(हनुमानगढ़ से हेतराम इंदलिया की रिपोर्ट)

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