फिर विजय श्री हाथ होगी
निशा के बाद प्रभात होगी
वाणी में फिर राग होगी
राष्ट्र की जय साथ होगी
फिर विजय श्री हाथ होगी।
राम सा संयम दिखाना
श्याम सी करुणा दिखाना
दूर रहकर पास आना
अपनत्व का परिचय दिखाना
चिन्ता की ना बात होगी
फिर विजय श्री हाथ होगी।
खेतों का यूं लहलहाना
किसान का पसीना बहाना
ग्वालों का गैया चराना
और दूध की नदियां बहाना
फिर से ये सब बात होगी
फिर विजय श्री हाथ होगी।
ज्ञान था जो उसे जगाना
कला को जागृत बनाना
इस समय बस ठहर जाना
ठहर कर भी रुक ना जाना
कोराना की फिर हार होगी
फिर विजय श्री हाथ होगी।
ईशान
ब्यावर, अजमेर