भारत को जानने और धैर्य की परीक्षा का वक्त

– मुरारी गुप्ता

पूरा भारत इस वक्त थमा हुआ है। यह ऐतिहासिक है। इस दौर में जी रही पीढ़ी के लिए यह जीवन पर्यन्त स्मरण रहने वाला समय रहेगा। चीनी वायरस भारत की चलती फिरती जिंदगी को इस तरह थाम देगा, किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। एक दिन के जनता कर्फ्यू की सफलता के बाद प्रधानमंत्री ने पूरे देश में इक्कीस दिन के लॉकडाउन की घोषणा की। राजस्थान में मुख्यमंत्री ने उससे पहले ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। स्पेन, इटली, अमरीका, ईरान जैसे देशों के उदाहरणों को देखने के बाद दुनियाभर के विशेषज्ञों का मानना है कि इस भयावह वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन एकमात्र उपाय है। सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों से दूरी बनाकर ही इस वायरस का मुकाबला किया जा सकता है। खुद चीन ने सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए ही इस पर काबू पाया है।

हालांकि सड़कों पर भटकते, अपने घरों की ओर पलायन करते लोगों से सहानुभूति जताते हुए कुछ प्रतिक्रियावादी लॉकडाउन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि कीमती क्या है, जान या जहान। जान है तो जहान है। अगर सुरक्षित रहे, तो हम फिर खुद को खड़ा कर लेंगे। खुद प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में इस बार साफ शब्दों में माफी मांगते हुए कहा भी है कि उन्हें पता है कि लोगों को इस लॉकडाउन से बहुत तकलीफ हो रही है। लेकिन इसके अलावा उपाय क्या है? यह ऐसा समय है जब हर व्यक्ति, संगठन, पार्टी को सरकार का साथ देना चाहिए।

यह समय हमारे लिए अपनी संस्कृति को भी जानने का अच्छा अवसर है। भारत सरकार ने लोगों की मांग पर भारतीय संस्कृति के प्रतीक रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों का फिर से प्रसारण शुरू किया है। हमारी उम्र के लोगों की स्मृति में इन धारावाहिकों की बहुत क्षीण यादें हैं, लेकिन यह सच है कि जितना भी हम अपने इतिहास नायक और नायिकाओं – राम, सीता, कृष्ण, अर्जुन, भीष्म, अभिमन्यु, कर्ण और विश्व विख्यात ऋषि-मुनियों के बारे में जानते हैं, कहीं न कहीं, इन धारावाहिकों को देखकर सीखा है। कोरोना वायरस के बहाने यह हमारे पास अवसर है कि हम इस दौर की पीढ़ी को अपने इतिहास और इतिहास के नायकों, दर्शन, अपनी समृद्ध परंपरा के बारे में उन्हें बता सकें। दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर रामायण और महाभारत इसमें हमारा भरपूर सहयोग कर सकते हैं। प्रसार भारती का धन्यवाद देना चाहिए कि लोगों की विशेष मांग पर उन्होंने तत्काल निर्णय लेते हुए हर दिन दोनों धारावाहिकों के दो एपिसोड प्रसारित करना शुरू किया। लेकिन यह सुखद है कि पुराने प्रिंट के बावजूद रामायण और महाभारत के प्रसारण के बाद लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने और सुनने को मिल रही हैं। ऐसा नहीं है कि इन धारावाहिकों के बाद रामायण और महाभारत पर धारावाहिक नहीं बने हैं, लेकिन रामानंद सागर की रामायण और बीआर चोपड़ा के महाभारत से भारत के लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हैं और जो चीज भावनात्मक रूप से जुड़ी हो, उसका असर लंबे समय तक होता है।

लॉकडाउन के दौरान आज जब लोग आपाधापी भरी जिंदगी से दूर हैं, भारत की चिंतन परंपराओं से जुड़े अनेक ग्रंथ, पुस्तकें और संदर्भ ग्रंथ व्हाट्सअप पर शेयर कर रहे हैं। रामायण और महाभारत के साथ हमारी चिंतन परंपरा के ग्रंथों का अध्ययन करने का इससे बेहतर अवसर क्या हो सकता है। बच्चों को वीडियो गेम्स और कार्टून के बीच, कॉमिक्स के दौर में ले जाने व उनमें पढ़ने की रुचि बढ़ाने का यह सही समय है। अपने भीतर के लेखक को मंच देने का यह बेहतरीन अवसर है।

जीवन में धैर्य और जीवटता का असली सामना कोरोना से मुकाबले में होने वाला है। तेज गति से दौड़ती जिंदगी के ब्रेक जब अचानक से रुक जाएं, तो हमारे धैर्य और जीवटता की परीक्षा होनी शुरू होती है। अदृश्य कोरोना वायरस ने हमें भले ही दृश्य जगत से अदृश्य कर घरों में कैद कर दिया है, लेकिन जब हम इस वायरस को जड़ मूल से समाप्त कर अपने घरों से बाहर निकलेंगे तो एक नई ऊर्जा और उत्साह के साथ राष्ट्र निर्माण में जुट जाएंगे। इसी उम्मीद से फिलहाल हमें अपने घर की देहरी को लक्ष्मण रेखा समझकर घरों में रहने की जरूरत है।

(लेखक भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी हैं)

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