युवाओं में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर वर्ष 2047 तक भारत बनेगा आत्मनिर्भर
युवाओं में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर वर्ष 2047 तक भारत बनेगा आत्मनिर्भर
पुणे। स्वदेशी जागरण मंच की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद बैठक में देश के युवाओं में उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर उन्हें उद्यमी बनाकर वर्ष 2047 तक आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लिया गया।
दो दिवसीय बैठक का समापन रविवार को महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षण संस्था के सभागार में हुआ। मंच के अखिल भारतीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन, पश्चिम क्षेत्र सह संयोजक प्रशांत देशपांडे व पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संयोजक हेमंत साठे ने रविवार को पत्रकार वार्ता में बैठक के संबंध में जानकारी प्रदान की।
डॉ. महाजन ने कहा कि देश के युवाओं में प्रतिभा है और उनकी प्रतिभा को अवसर प्रदान करने हेतु जिला रोजगार सृजन केंद्रों की स्थापना की जाएगी। देश के 756 जिलों में केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिनमें से 430 केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। इन्हें सुदृढ करने हेतु एक जून से 30 जून तक सघन संपर्क अभियान चलाया जाएगा। साथ ही MySBA डिजिटल अभियान को भी गति दी जाएगी। स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत विशेष रूप से महिलाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे।
आगामी 21 अगस्त को विश्व उद्यमिता दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सहयोग से विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे। नवंबर और दिसंबर महीने में देश भर में 50 से अधिक स्थानों पर स्वदेशी स्वावलंबन मेलों का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में 38 प्रांतों के 230 पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें 38 महिलाएं थीं। साथ ही इसमें 16 संस्थाओं का प्रतिनिधित्व रहा। बैठक में मंच की अगले एक वर्ष के कार्य की रूपरेखा तैयार की गई। स्वदेशी जागरण मंच की गतिविधियों में परसिस्टेंट टेक्नोलॉज़ीज़, जागृति और सेपियो एनालिसिस जैसी कंपनियों और संगठनों का साथ मिलने की जानकारी भी इस अवसर पर दी गई।
बैठक के उपलक्ष्य में स्वदेशी जागरण मंच की ओर से दो निवेदन जारी किए गए। पहले निवेदन में कहा गया है, कि भारत को 2047 में एक कुशल विनिर्माण प्रणाली बनानी चाहिए और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकना चाहिए। भारतीय मुद्रा को बढ़ावा देकर भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जाना चाहिए।
दूसरे निवेदन में कहा गया कि जी-20 समूह की अध्यक्षता भारत के लिए आज दुनिया के सामने स्थित समस्याओं का समाधान खोजने का एक अवसर है और भारत को इस मंच का उपयोग विश्व व्यापार संगठन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा में आम सहमति बनाने के लिए करना चाहिए।
विज्ञान और आर्थिक प्रगति में हो समन्वय
दो दिवसीय बैठक में कुल सात सत्र हुए, जिनमें विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। बैठक में एक प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गई। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि हमें विज्ञान और आर्थिक प्रगति के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध सुनिश्चित करना चाहिए। एकात्म मानववाद के सिद्धांतों का पालन करते हुए विज्ञान अभिशाप नहीं, बल्कि वरदान होना चाहिए। वर्ष 2047 के लिए भारत का लक्ष्य एक विकास संकल्प है जो ग्रामीण रोजगार और पर्यावरण पर केंद्रित है। यह मूल्यों, नैतिकता के सिद्धांतों, सहयोग और विकेंद्रीकरण पर भी आधारित होगा।