मणिपुर में शांति एवं सौहार्द के लिए वनवासी कल्याण आश्रम ने देशवासियों से की सकारात्मक पहल की अपील

मणिपुर में शांति एवं सौहार्द के लिए वनवासी कल्याण आश्रम ने देशवासियों से की सकारात्मक पहल की अपील

मणिपुर में शांति एवं सौहार्द के लिए वनवासी कल्याण आश्रम ने देशवासियों से की सकारात्मक पहल की अपीलमणिपुर में शांति एवं सौहार्द के लिए वनवासी कल्याण आश्रम ने देशवासियों से की सकारात्मक पहल की अपील

पुणे, 15 जून। मणिपुर में हालात चिंताजनक हैं। वहॉं फिर से शांति एवं सौहार्द का वातावरण बने, इसके लिए बुधवार को अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से सद्भावना की अपील करते हुए कहा कि गत 3 मई से मणिपुर में हो रही हिंसक घटनाएँ कहने को तो दो समुदायों के बीच हैं, पर वास्तव में ये घटनाएँ केवल कुकी, मैतेई या मणिपुर की नहीं वरन पूरे देश का विषय हैं; इसलिए पूरे देश को यहॉं शांति व सौहार्द की  स्थापना के लिए सकारात्मक पहल करनी चाहिए।

गत डेढ़ महीने से हो रहे हिंसा के इस नग्न-नाच ने न केवल सैकड़ों लोगों की जान ली है बल्कि दोनों समुदायों के हजारों लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है। वे अपने ही राज्य में शरणार्थियों की तरह राहत शिविरों में रहने को विवश हुए हैं। हानि केवल जान-माल की ही नहीं हुई है बल्कि परस्पर विश्वास की भी हुई है। जो दो समुदाय हजारों वर्षों से साथ साथ रह रहे हैं, उनका आपसी विश्वास खंड-खंड हुआ है। यही कारण है कि शांति स्थापित करने के केंद्र सरकार के प्रयास भी विफल हो रहे हैं। टूटे हुए आशियाने फिर बन जाएँगे, जुड़ जाएँगे पर टूटे हुए विश्वास को जोड़ना सबसे बड़ी चुनौती है।

अभी समय इन दुर्भाग्यपूर्ण हिंसक घटनाओं के कारणों को जानने का नहीं, बल्कि शांति और सौहार्द की पुनर्स्थापना का है। जब शासन – प्रशासन असहाय बन जाता है, देशी-विदेशी स्वार्थी तत्त्व आग में घी डालने का काम करने लग जाते हैं तो पूरे देश को, देश के सम्मानित आध्यात्मिक व्यक्तियों को, खेल, कला, सिनेमा, प्रतिष्ठित सामाजिक-राजनितिक नेताओं, पूर्व सैन्य-प्रशासनिक अधिकारियों को देश हित में आगे आना होता है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा का एक क्षेत्र जब इन घटनाओं का केंद्र बन जाता है तो यह आवश्यकता और भी बढ़ जाती है। आज देश के सामने यही स्थिति खड़ी हो गई है।

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम और उसके अध्यक्ष के नाते मैं मणिपुर के सभी नागरिकों से ह्रदयपूर्वक अपील करता हूँ कि वे इन सभी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को एक बुरे सपने की तरह मानकर इस परिस्थिति से स्वयं भी बाहर आएं और अपने पड़ोसी-निकटवर्ती लोगों, मित्रों-सम्बन्धियों को भी इसके लिए प्रेरित करें। वे सब लोग किसी ऐसी ही सकारात्मक पहल की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रकृति या मानव निर्मित विनाश से एक न एक दिन तो बाहर निकलना ही होगा, और कोई मार्ग नहीं है।

मैं देश के सम्मानित, आध्यात्मिक महानुभावों, खेल, कला, सिनेमा से जुड़े प्रसिद्ध लोगों, प्रतिष्ठित सामाजिक-राजनितिक नेताओं, पूर्व सैन्य-प्रशासनिक अधिकारियों से भी अपील करता हूँ कि वे इस राज्य के प्रभावित-पीड़ित लोगों के आंसू पोंछने, दुःख की इस घड़ी में उन्हें ढांढस बंधाने और पूरा देश उनके साथ खड़ा है यह विश्वास दिलाने कि लिए, इन क्षेत्रों की शांति-यात्रा करें व अपने स्थानों से ही व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से इसके लिए अपील भी जारी करें।

वनवासी कल्याण आश्रम को यह विश्वास है कि सभी का सामूहिक प्रयास आश्चर्यजनक-सकारात्मक प्रभाव डालेगा। हमें अब और समय नष्ट नहीं करना चाहिए। पहले ही बहुत विलम्ब हो चुका है, अधिक विलम्ब करने से स्थितियां और बिगड़ सकती हैं। इसलिए हम सभी शीघ्रातिशीघ्र इस दिशा में सकारात्मक पहल करें।

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