महाराजा दाहरसेन का 1308 वां बलिदान दिवस मनाया

अजमेर 16 जून । सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन का 1308 वां बलिदान दिवस मंगलवार को मनाया गया। इस अवसर पर हिंगलाज माता का पूजन कर महाराजा दाहरसेन को श्रृद्धासुमन अर्पित किये गये।

पूर्व सांसद ओंकारसिंह लखावत ने कहा कि भारत के पश्चिमी प्राचीर रक्षक सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन सिंध धर्मवीर, दानवीर युद्धवीर महाराजा थे। सिंधु संस्कृति के विकास में महती भूमिका का निर्वहन करने वाले हिन्दू कुल रक्षक के रूप में उनकी ख्याति जन-जन के मन में समाई हुई है। महाराजा दाहरसेन ने युद्ध भूमि में राष्ट्र रक्षा के लिये स्वयं सहित परिवार का बलिदान दे दिया। जिसे इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने कहा कि बलिदान दिवस पर देश भर में अलग-अलग इकाइयों द्वारा देशभक्ति आधारित कार्यक्रम कर श्रृद्धासुमन अर्पित किये गये। हम हिंगलाज माता व जगद्गुरू श्रीचन्द्र भगवान के चरणों में प्रार्थना करते हैं कि देश दुनिया से कोराना वायरस कष्ट से मुक्ति हो और सभी स्वस्थ व प्रसन्न हों।

महापौर धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा महाराजा दाहरसेन के बलिदान के पीछे मोहम्मद बिन कासिम द्वारा किया गया छल कपट रहा। आज के अवसर पर हमें चाहिए कि हम अपनी संस्कृति की रक्षा के लिये प्रण लें और अपने अपने परिवार में परिवार प्रबोधन से संस्कृति को बचायें।

उप महापौर सम्पत सांखला ने कहा कि ऐसे वीर महापुरूषों से हमें प्रेरणा लेकर राष्ट्र की सेवा करनी है। महारानी लाडी बाई का जौहर व सूर्यकुमारी व परमाल का बलिदान इतिहास में सदैव याद किया जायेगा।

समारोह समिति के कंवल प्रकाश ने कहा कि 15 दिन से अलग अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें चित्र बनाओ प्रतियोगिता, निबंध आलेख प्रतियोगिता के साथ महाराजा दाहरसेन के जीवन पर आधारित प्रश्नोत्तरी की प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिनका आने वाले समय में विजेताओं को कार्यक्रम आयोजित कर सम्मान किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष महाराजा दाहरसेन समारोह समिति के अलावा अजमेर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पर्यटन विभाग सहित सिन्धु शोधपीठ, मदस विश्वविद्यालय व भारतीय सिन्धु सभा का सहयोग रहता है।

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