यूरोपीय सभ्यताओं को हजारों सालों से प्रकाशित करती रही है दीपावली
मेजर सुरेंद्र माथुर
संपूर्ण यूरोप में सनातन संस्कृति थी। वहाँ पर सभी पौराणिक धर्म और संस्कृति को मानने वाले भी यह स्वीकारने लगे हैं। संपूर्ण यूरोप में जिन संप्रदायों का विशेष प्रभाव रहा है उनमें एक प्रमुख केल्ट (Celts) भी हैं। इनका प्रभाव फ़्रांस, आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, ऑस्ट्रिया आदि अनेक देशों में रहा है। रोम के विध्वंसकारी आक्रमण के कारण उन्हें हज़ारों वर्षों की ग़ुलामी झेलनी पड़ी। उनके धर्म और संस्कृति को पूर्णतःनष्ट करने की कोशिश की गई। लेकिन अब वे फिर से उभरकर सामने आने लगे हैं। उन्होंने अपनी जड़ों को मान्यता और पहचान दिलाने का काम किया है। इस काम में उनके गुरूजनों ने, जिन्हें द्विज (Druid) कहते हैं, बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केल्ट (Celts) की संस्कृति पूर्णतः सनातन संस्कृति जैसी ही है। उनके प्रमुख देवता भगवान परशुराम जी हैं और उन्हें वे Dagda कह कर संबोधित करते हैं ।
यूरोप की यह संस्कृति डेन्यूब (Danube) संस्कृति के नाम से प्रसिद्ध है। डेन्यूब (Danube), वोल्गा (Volga) नदी के बाद यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी नदी है और कई देशों से होकर बहती है, जिनमें जर्मनी, रोमानिया, हंगरी, ऑस्ट्रिया, सर्बिया, बुल्गारिया, यूक्रेन, क्रोएशिया, स्लोवाकिया जैसे देश हैं। डेन्यूब (Danube) दक्षिण–पूर्व में 2,730 किमी तक बहती है और यूरोप की चार राजधानी शहरों (वियना, ब्रातिस्लावा, बुडापेस्ट, और बेलग्रेड) से गुजरती है।
डेन्यूब (Danube) नदी एवं संस्कृति, हिन्दू देवी दानु से जुड़ी संस्कृति है । यह देवी जल, नदी और झीलों की देवी है, जैसे गंगा– यमुना संस्कृति, सिंधु घाटी संस्कृति कहलाई जाती रहीं हैं। देवी दानु, बाली (Bali- Indonesia) के हिंदुओं की जल की देवी हैं। वह बालिनी (Balinese) परंपरा में दो सर्वोच्च देवताओं में से एक है।
यूरोप में देवी देवताओं के साथ, हमारे अध्ययन अनुसार वहाँ के प्रमुख पर्व भी सनातन संस्कृति से ही जुड़े हुए है। वहाँ के लोग भी भारत की तरह ही पंचांग बनाते हैं और उसके अनुसार ही पर्वों को मनाते हैं। वहाँ वर्तमान में माने जाने वाले प्रमुख धर्म ने भी उन्हीं पर्वों को अपनाया। वहाँ के लोग भी चंद्र कैलेंडर में विश्वास रखते आए हैं। इतनी समानताएँ होने पर भी हम उन्हें पहचान क्यों नहीं पा रहे हैं। इसके दो कारण हैं पहला, वहाँ की स्थानीय भाषा को Roman Alphabets में लिखने के लिये बाध्य किया गया और दूसरा, सभी पर्वों की ग्रेगोरियन कैलेंडर आधारित तिथियाँ, निश्चित कर दी गईं। काल के प्रवाह से लोग उन विषयों को भूलते गये और उनके पर्व भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़े हुए हैं, इसकी पहचान करना कठिन हो गया।
हिन्दूओं का सर्वाधिक लोकप्रिय पर्व दीपावली उन लोगों के उत्सवों और पर्वों के सबसे निकट है। क्या आप जानते हैं कि दीपावली संपूर्ण यूरोप का सबसे पौराणिक और लोकप्रिय पर्व रहा है। यह पर्व यूरोप में सैमहें (Samhain) के नाम से जाना जाता है ।
यूरोप में त्योहारों से संबंधित परिस्थितियों को समझना भी आवश्यक है। जैसा कि हम चर्चा कर चुके हैं कि वहाँ के समाज पर पर्वों की तिथियाँ थोप दी गई थीं। वैसा ही इस पर्व की तिथियों के साथ भी हुआ। कुछ पर्वों को आपस में जोड़ने पर बाध्य किया गया और उन्हें एक के बाद एक मनाने के लिए तिथियाँ तय कर दी गईं। वे तीन पर्व कौन से हैं? उन्हें पहचानने की भी आवश्यकता है। पहला है श्राद्ध, जिसको सीमित कर सिर्फ एक दिवसीय यानि 31 अक्टूबर को मनाने के लिए बाध्य किया गया।
केल्ट (Celtic) गुरुजनों द्वारा लिखित पुस्तकों में यह वर्णित है। उनमें उल्लेख है कि पौराणिक काल में वहाँ भी श्राद्ध एक सीज़न हुआ करता था। अब इसे Halloween के नाम से जाना जाता है। सर्वपितृ श्राद्ध को वहाँ के प्रभावी धर्म से जोड़कर ऑल सेंट्स डे (All Saints Day) के नाम से 01 नवंबर को मनाने पर बाध्य किया गया। दिवाली को Samhain के नाम से 02 नवंबर को मनवाया जाने लगा ।
दीपावली का पर्व भारत में पाँच दिनों तक मनाया जाता है।यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के वेल्श (Welsh) प्रान्त में आज भी Samhain पाँच दिवसीय त्योहार है।
नाम की समानताएँ:
क्या यूरोपीय पर्व सैमहें, दीपावली के उद्देश्य और मान्यताओं से मेल खाता है? इसका सर्वाधिक प्रचलित नाम सैमहें है । ब्रिटनी (फ़्रांस) में इसे सैमोनियो (Samonios) के नाम से जाना जाता है। Samhain का सीधा अंग्रेज़ी में कोई भी अर्थ नहीं निकलता है। सौभाग्य से हमें वहाँ का अतिपौराणिक कैलेण्डर मिला। उसमें नवंबर के महीने को “An t-Samhain” के रूप में बताया गया था। यह बात पहले ही प्रमाणित हो चुकी है कि यूरोप की सभी भाषाओं पर संस्कृत भाषा का गहरा प्रभाव रहा है। यही सोचकर हमने इस शब्द का विश्लेषण करना शुरू कर दिया। और हमें इस कार्य में अद्भुत और रोमांचकारी सफलता मिली। गहन अध्ययन कर और यह मानकर कि यह संस्कृत का शब्द हो सकता है, इसे संस्कृत में लिखा। यह शब्द बना (अन्तस्मै)। ”अन्” का संस्कृत में अर्थ होता है “अनन्त” और तस्मै का अर्थ “नमन” है। अर्थात् अन् तस्मै (An t-Samhain) का अर्थ” अनंत देवी देवताओं को नमन”, करने वाला दिवस।
केल्ट (Celts) की संस्कृति कितनी पुरानी हो सकती है इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए निश्चित ही यह त्योहार उतना ही पौराणिक होना चाहिए। यह अर्थ आज भी मान्य है और इस पर्व के उद्देश्यों से मेल खाता है। समय के चलते और संघर्षमयी परिस्थितियों के कारण इसका नाम (An t-Samhain) से केवल Samhain नाम से प्रचलित हो गया। Samhain से केल्ट (Celts) का भी पौराणिक नववर्ष प्रारंभ होता है ।
हम अब फ्रांस के ब्रिटनी के कैलेंडर पर आते हैं। वहाँ इस पर्व को सैमोनियो (Samonios) कहा जाता है और यह त्योहार अमावस्या को ही मनाया जाता है। हम वहाँ के एक पुराने वर्ष 2004 के कैलेंडर पर चर्चा करते हैं। इस कैलेंडर की विशेषता यह है कि इसका महीना एकादशी से प्रारंभ होता है। एकादशी की हिन्दुओं में बहुत महत्ता है। जैसा पौराणिक काल में भारत में दीपावली नववर्ष होता था वैसे ही उनका यह पाँच दिन का पर्व एकादशी से शुरू होता है और चौथे दिन दीपावली मनाई जाती है। ब्रिटनी में जब इस नाम का विश्लेषण किया तो Samonios का अर्थ (तमस् नाश:) यानि अंधकार का नाश निकलकर सामनेआया। दीवाली के पर्व को हम भी इसी रूप में मानते हैं।यह त्योहार “अंधेरे पर प्रकाश की जीत, बुराई परअच्छाई, और अज्ञान पर ज्ञान” का प्रतीक है।
दिवाली पर्व की तिथियों से इन क्षेत्रों के भारत से संबंध को जान सकते हैं-
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आयरलैंड. |
ब्रिटनी (फ़्रांस) |
भारत |
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1. |
25 अक्टूबर2003 |
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25 अक्टूबर2003 |
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2. |
11 नवंबर 2004 |
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12 नवंबर 2004 |
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3. |
02 नवंबर 2005 |
01 नवंबर 2005 |
01 नवंबर 2005 |
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4. |
23 अक्टूबर2006 |
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21 अक्टूबर2006 |
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5. |
09 नवंबर 2007 |
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09 नवंबर 2007 |
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यह तो स्पष्ट है कि सदियों से दीपावली भारत, एशियाई देशों और यूरोप के अनेक देशों में सबसे महत्वपूर्ण और सर्वाधिक लोकप्रिय पर्व रहा है। यह विश्व के अनेक संप्रदायों का नववर्ष भी रहा है। विपरीत परिस्थितियों के कारण इस नववर्ष को बदल दिया गया है। भारत में भी यह नये वित्तीय वर्ष का प्रारंभ माना जाता रहा है।
घोर विरोध होने के बावजूद यह सभी समाजों और संप्रदायों के दिल में बसा हुआ सबसे पौराणिक नववर्ष का पर्व है।पर्व को मनाने की तिथियाँ भी मिल रही हैं ।
दीवाली एक ऐसा पर्व है जो विश्व की सभी ऐतिहासिक और पौराणिक संस्कृतियों को एक जुट कर सकता है। यूरोपीय देशों की प्राचीन सभ्यताएं भारतीय सनातन संस्कृति के बहुत निकट हैं, लेकिन उन सभ्यताओं की आवाजों को सैकड़ों वर्षों से चर्च ने दबा रखा है। क्या हम उनकी आवाज में अपनी आवाज मिलाकर उन्हें एक नई ताकत दे सकते हैं। क्या हम यह संकल्प ले सकते हैं कि एक बार फिर से दीपावली हमारे नववर्ष के रूप में स्थापित होगा।