जालोर : राजपुरोहित ने अपने घर में संपन्न कराया वाल्मीकि बेटी का विवाह
#सामाजिक समरसता
जालोर : राजपुरोहित ने अपने घर में संपन्न कराया वाल्मीकि बेटी का विवाह
जालोर। कहते हैं सच जब तक अपने जूतों के फीते बांध रहा होता है, झूठ पूरे शहर का चक्कर लगा चुका होता है। शायद ऐसा ही कुछ होता है सकारात्मक और नकारात्मक घटनाओं के बीच भी। आज समाज में विभाजनकारी शक्तियां इतनी सक्रिय हैं कि वे हर घटना में अपना एंगल ढूंढती रहती हैं। घटना सकारात्मक है तो चुप्पी साध जाती हैं और नकारात्मक (विभाजनकारी) है तो उनका पूरा इको सिस्टम एक्टिव हो जाता है।
पिछले दिनों जालोर के सुराणा गॉंव के विद्यालय के मटका कांड (जिसकी अभी जांच चल रही है) ने खूब सुर्खियां बटोरीं। लेकिन इसी जालोर की आहोर तहसील के सांकरणा गॉंव में एक राजपुरोहित परिवार ने वाल्मीकि परिवार की बेटी का विवाह सम्पन्न कराया, यह समाचार शायद ही मेन स्ट्रीम के किसी पेपर या चैनल पर आया होगा।
घटना 8 सितम्बर 2022 की है। वाल्मीकि समाज (अनुसूचित जाति) की एक महिला, जिनके पति जगदीश कुमार वाल्मीकि का देहांत हो चुका है, की पुत्री का विवाह गांव के ही व्यक्ति सुरेश सिंह पुत्र भैरूसिंह राजपुरोहित ने अपने घर के आंगन में धूमधाम से किया। इस विवाह में सभी ग्रामवासियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। भोजन आदि के लिए टेंट लगाया गया। ढोल थाली बजाकर बारात का स्वागत हुआ। सुरेश सिंह के साथ ही राजपुरोहित समाज के अन्य लोगों ने भी बेटी का कन्यादान किया। कन्यादान में लड़की को 7 तोला सोना, आधा किलो चांदी, घर गृहस्थी के सभी भौतिक संसाधन, बर्तन, कपड़े, नकद रुपए भेंट किए गए। गांव के सभी लोगों ने सुखी जीवन की कामना करते हुए बेटी को विदाई दी।
भारतीय समाज में ऐसी घटनाएं नई नहीं हैं। अभी कुछ समय पहले जुलाई 2022 में मनोहर सिंह जोधा ने जैसलमेर में अनुसूचित जाति के ही एक गरीब परिवार की दो बेटियों के विवाह का पूरा खर्च उठाया था। उन्होंने दोनों के लिए वर भी अपने ही गॉंव में ढूंढे।
देखा जाए तो हर समाज में आज भी अच्छे लोग ही बहुतायत में हैं। बस चंद लोग इनकी चुप्पी के कारण अपने विभाजनकारी एजेंडे में सफल हो जाते हैं।