राष्ट्रीय सेवा संगम : केवल उपदेश नहीं कर्म रूप साधना है सेवा भारती

राष्ट्रीय सेवा संगम : केवल उपदेश नहीं कर्म रूप साधना है सेवा भारती

राष्ट्रीय सेवा संगम : केवल उपदेश नहीं कर्म रूप साधना है सेवा भारतीराष्ट्रीय सेवा संगम : केवल उपदेश नहीं कर्म रूप साधना है सेवा भारती

जयपुर, 6 अप्रैल। सेवा भारती स्वावलंबी भारत, समृद्ध भारत की ऐसी गाथा है, जिसका ध्येय कर्म रूप साधना करना है, उपदेश नहीं। सेवा भारती दीन-हीन की सेवा को ही परमेष्टी की अर्चना मानता है।

यह बात गुरुवार को यहां केशव विद्यापीठ जामडोली में राष्ट्रीय सेवा भारती के तीसरे राष्ट्रीय सेवा संगम की प्रदर्शनी के उद्घाटन पर उभर कर आई। वक्ताओं ने वंचित, पीड़ित, उपेक्षित और अभावग्रस्त बंधुओं के उत्थान में सालों से जुटे सेवा भारती के कार्यकर्ताओं का अभिनंदन करते हुए उपस्थित समाजजनों का तन-मन-धन और भावना से सेवा में समर्पण का आह्वान किया।

उद्घाटन समारोह के मुख्य वक्ता विश्व जाग्रति मिशन के संस्थापक आचार्य सुधांशु महाराज ने रामभक्त हनुमान की जयंती पर उन्हें उद्धृत करते हुए कहा कि सेवा का भाव हनुमानजी से समझा जा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हनुमानजी को उनके सेवा के धर्म को पूरा करने के लिए शक्तियां याद दिलाने वाले जामवंत थे। आज के समय में भी ऐसे पथ प्रदर्शक हैं, जो समाज में सेवा के भाव को जाग्रत करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों की भूमिका अहम है।

उन्होंने कहा कि सेवा करने वालों का हर जगह सम्मान भी होता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अपने एक कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जनजाति समाज ने पुलिस की सुरक्षा लाने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया और उनकी सुरक्षा जनजाति समाज ने स्वयं यह कहते हुए संभाली कि आपकी सुरक्षा हमारा दायित्व है।

कार्यक्रम में स्वामी माधवानंद विश्व शांति परिषद के संस्थापक विश्वगुरु महामण्डेलश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानंद ने सभी से शाकाहार अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि विदेशों में लोग मांसाहार छोड़कर शाकाहार अपना रहे हैं, चाहे वे किसी भी पंथ के अनुयायी हों, किन्तु हमारे ही देश में बच्चों को अंडे खाने की शिक्षा दी जा रही है, जिसे आज के अभिभावकों को समझना होगा और नई पीढ़ी को यह समझाना होगा कि शाकाहार हमारी संस्कृति है। इस दौरान उनके साथ विदेशों से आए शाकाहार अपना चुके उनके अनुयायियों ने भी अपने संक्षिप्त अनुभव सुनाए।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि राजसमंद की सांसद दीया कुमारी ने कहा कि नर को नारायण मानते हुए सेवा कार्यों को लेकर आगे बढ़ रही सेवा भारती का सेवा कार्य अब विदेशों में भी दिखाई देने लगा है।

सेवा भारती के पूर्व अखिल भारतीय सेवा प्रमुख प्रेमचंद गोयल ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ के स्वयंसेवक राष्ट्र निर्माण की दिशा में हर कार्य कर रहे हैं। हर क्षेत्र में सेवा कार्य हो रहे हैं। यह समर्पण हमारे देश को विश्व कल्याण की दिशा में अग्रसर कर रहा है और यही भाव भारत को पुन: विश्व गुरु के रूप में स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि इस बार देश सोने की चिड़िया नहीं अपितु सोने का शेर बनेगा ताकि उसे कोई लूट न सके।

राष्ट्रीय सेवा भारती की महासचिव रेणु पाठक ने बताया कि सेवा संगम का उद्घाटन शुक्रवार सुबह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत करेंगे।

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