अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक सम्पन्न

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक सम्पन्न

अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक सम्पन्न

जशपुर नगर। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक 19 जुलाई 2021 को जशपुर नगर (छत्तीसगढ़) में संपन्न हुई। जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र खराडी, महामंत्री योगेश जी बापट एवं विभिन्न पदाधिकारी, कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

6 जुलाई, 2021 को केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा एवं तत्कालीन केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जनजाति समाज को वन संसाधनों के अधिकार देने की घोषणा करते हुए दोनों मंत्रालयों के सचिवों के हस्ताक्षर द्वारा एक संयुक्त-पत्रक जारी किया था। इस ऐतिहासिक निर्णय का अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की कार्यकारी मंडल की बैठक में स्वागत किया गया। विषय से संबंधित प्रस्ताव बैठक में पारित किया गया।

प्रस्ताव में कल्याण आश्रम द्वारा निम्नलिखित मांगें की गईं……

  1. केंद्रीय वन-पर्यावरण मंत्रालय एवं केंद्रीय जनजाति मंत्रालय द्वारा जारी संयुक्त प्रतिबद्धता के अनुसार राज्यों में भी जनजाति विभाग एवं वन विभाग मिलकर सामुदायिक वन-संसाधनों के अधिकारों को राज्य के प्रत्येक गांव तक, ग्राम-सभा तक पहुंचाएं।
  2. इसके क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक राज्य अपनी कालबद्ध कार्य योजना बनाते हुए, हर तीन माह के प्रतिवेदन में धारा 3.1(झ) के अंतर्गत प्रबंधन के अधिकारों की वर्तमान स्थिति वेबसाइट पर अपलोड करें।
  3. ग्राम सभा को सामुदायिक वन-संसाधनों के अधिकार पत्र मिलने के उपरांत, उस वन क्षेत्र को वन विभाग अपने नक्शे में “ग्राम-सभा का सामुदायिक वन-संसाधनों के अधिकार का क्षेत्र” इस तरह रिकॉर्ड ऑफ राइट्स (RoR) में दर्ज करें।
  4. नियम 2008 के अनुसार 4.1(e) के अंतर्गत ग्राम सभा द्वारा “सामुदायिक वन-संसाधन व्यवस्थापन समिति” (CFRMC) बनाने एवं ग्राम सभा द्वारा उस सामुदायिक वनक्षेत्र में गांव की आवश्यकताओं का अन्तर्भाव करते हुए सूक्ष्म कार्य योजना बनाने हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग प्रदान करें।
  5. इस कार्ययोजना को क्रियान्वित करने हेतु केंद्रीय जनजाति मंत्रालय द्वारा दिनांक 23/04/2015 को भेजे गए पत्र के अनुसार मनरेगा, पंचायत-निधि, कैम्पा-फंड, जनजाति उपयोजना जैसे विविध निधि, ग्राम-सभा द्वारा बनी CFRMC को देते हुए उसे मजबूत बनाएं।
  6. उड़ीसा एवं महाराष्ट्र राज्य के अनुसार जिला स्तरीय कन्वरर्जेंस कमेटी स्थापित करते हुए सामुदायिक वन क्षेत्र के पुनर्निर्माण एवं संवर्धन हेतु ग्राम-सभा को तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग की व्यवस्था करें।
  7. महाराष्ट्र के मुंबई विश्वविद्यालय ने सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन नाम से एक डिग्री /डिप्लोमा पाठ्यक्रम का निर्माण किया है, बाकी राज्य भी इस पर विचार करें।
  8. देश में कृषि विकास हेतु प्रत्येक जिले में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) बने हैं। उसी तरह जनजाति बहुल जिलों में “वन विज्ञान केंद्र” (VVK) की स्थापना की जा सकती है।
  9. संयुक्त परिपत्र में संयुक्त वन प्रबंध समिति (JFMCs) के अनुभवों का लाभ उठाने की बात कही गई है, अर्थात सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति (CFRMCs) के संचालन में इनका उपयोग किया जाए न कि इसकी आड़ में JFMC को प्रायोजित किया जाए।
Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *