वाघ नख जिससे शिवाजी महाराज ने अफजल को मारा था, भारत वापस आएगा

वाघ नख जिससे शिवाजी महाराज ने अफजल को मारा था, भारत वापस आएगा

वाघ नख जिससे शिवाजी महाराज ने अफजल को मारा था, भारत वापस आएगा   वाघ नख जिससे शिवाजी महाराज ने अफजल को मारा था, भारत वापस आएगा

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा प्रयोग किए गए बाघ के पंजे के आकार के औजार ‘वाघ नख’ को भारत वापस लाया जाएगा। छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस बाघ के पंजे के आकार के औजार का उपयोग 1659 में बीजापुर रियासत के सेनापति अफजल खान को मारने के लिए क‍िया था। अब इस औजार को वापस करने के लिए ब्रिटेन ने सहमति जताई है।

जानकारी के अनुसार महाराष्‍ट्र के सांस्कृतिक प्रकरणों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार सितंबर माह के अंत में लंदन यात्रा करेंगे। इस यात्रा में विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में प्रदर्श‍ित इस वाघ नख को वापस लाने के ल‍िए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर क‍िए जाएंगे।

मुनगंटीवार ने कहा कि ‘इस हेतु ब्रिटेन के अधिकारियों से एक पत्र प्राप्‍त हुआ है। जिसमें कहा गया है कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘वाघ नख’ वापस देने के लिए सहमत हैं। हिन्दू कैलेंडर के आधार पर हम वाघ नख को उस घटना की वर्षगांठ वाले दिन पुन: प्राप्त कर सकते हैं, जब शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मारा था। इसके अतिरिक्त वाघ नख को वापस लाने के समझौतों तथा अन्य दिनांकों पर भी विचार व‍िमर्श किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि यूके में शि‍वाजी महाराज की जगदम्बा तलवार भी प्रदर्श‍ित की गई है। हम एमओयू पर हस्ताक्षर करने के साथ ही अन्य वस्तुओं जैसे कि शिवाजी महाराज की जगदम्बा तलवार को भी देखेंगे और इन्हें वापस लाने के लिए उचित निर्णय करेंगे। वाघ नख का वापस भारत आना महाराष्ट्र के लिए एक बड़ी बात होगी। अफजल खान को शिवाजी महाराज द्वारा मृत्यु देने की दिनांक ग्रेगोरियन कैलेंडर के आधार पर 10 नवंबर है। लेकिन हम हिन्दू तिथि कैलेंडर के आधार पर दिनांक तय कर रहे हैं।

उन्‍होंने यह भी कहा क‍ि छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख इतिहास की अमूल्य धरोहर है और राज्य के लोगों की भावनाएं उसके साथ जुड़ी हुई हैं। इसका हस्तांतरण व्यक्तिगत जिम्मेदारी और सावधानी के साथ कि‍या जाना चाहिए।

बताया जा रहा है कि मंत्री मुनगंटीवार, प्रमुख सचिव संस्कृति (डॉ. विकास खड़गे) और राज्य के पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय के निदेशक डॉ. तेजस गर्गे लंदन स्‍थ‍ित वी एंड ए और अन्य संग्रहालयों का दौरा करेंगे तथा 29 सितंबर से 4 अक्टूबर तक तीन सदस्यीय टीम की 6 दिवसीय यात्रा पर महाराष्ट्र सरकार लगभग 50 लाख रुपये खर्च करेगी।

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