विचार
वातानुकूलित हो गए हैं
सम्भ्रान्त भी,
सुहाता नहीं उनको
धरती पर उतरना,
यथार्थ से जुड़ जाना।
क्रांतिकारी हो गए हैं अब विचार
काट देना चाहते हैं
जड़ों को,
जो हिलती तक नहीं उनसे।
डॉ. अरुण सिंह
Post Views: 2,312
Share on
1 thought on “वातानुकूलित बौद्धिकवाद”
बहुत ही सुंदर रचना गुरुदेव। आप जब भी काव्य रचना करते हो प्रत्येक छात्र को अवश्य ही सीखने और शब्द चयन की शक्ति प्रदान करते हो। आप का मार्गदर्शन और काव्य रचना का यह दौर सदैव बना रहे। साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति को सदैव लेखन के लिए प्रेरित करते हो।
बहुत ही सुंदर रचना गुरुदेव। आप जब भी काव्य रचना करते हो प्रत्येक छात्र को अवश्य ही सीखने और शब्द चयन की शक्ति प्रदान करते हो। आप का मार्गदर्शन और काव्य रचना का यह दौर सदैव बना रहे। साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति को सदैव लेखन के लिए प्रेरित करते हो।