गौ माता की पुकार

सुन लो मेरी दर्द कहानी, कैसा मंजर छाया है।
जिस घर की मैं रक्षा करती, उसे कसाई लाया है।।

बछड़ा मेरा रोता पल-पल, मुझे घसीटा जाता है।
भूखा रखकर के मुझको, चाबुक से पीटा जाता है।
रोज कटे जब मेरी काया, खूनी खिल-खिल हँसता है।
क्या खून तुम्हारा नहीं उबलता, खून में पानी बसता है।।

बेबस रोती आंखें मेरी, मैं खुद पर शर्मिंदा हूं।
मेरे अपने भूल गए हैं, बस गीतों में जिंदा हूं।
मैं गौमाता के जीवन का हाल बताने आया हूं।
गौ माता की दर्द कहानी तुम्हें सुनाने आया हूं।

जिसको मैंने खिला पिलाकर अपने हाथों बड़ा किया।
आज उसी ने लाकर मुझको, खूनी के आगे खड़ा किया।
मैं माता हूं दोष किसे दूँ, यह तो मेरा अपना है।
पर शायद लगता है मुझको, यह तो केवल सपना है।
मैं उन पापी हत्यारों को सजा दिलाने निकला हूं।
गौ माता की दर्द कहानी तुम्हें सुनाने निकला हूं।

स्वरूप जैन’जुगनू’

Print Friendly, PDF & Email
Share on

4 thoughts on “गौ माता की पुकार

  1. वाह
    आपको लेखनी को सलाम हुक्म

    1. धन्यवाद हुकम। आपके प्रेम और स्नेह को मेरा प्रणाम निवेदित करता हुँ।
      कोटिस आभार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *