आध्यात्मिक, चारित्रिक व नैतिक उन्नति शिक्षा का उद्देश्य

आध्यात्मिक, चारित्रिक व नैतिक उन्नति शिक्षा का उद्देश्य

शिक्षक दिवस/ 5 सितंबर पर विशेष

शिप्रा पारीक

आध्यात्मिक, चारित्रिक व नैतिक उन्नति शिक्षा का उद्देश्य

शिक्षक का सम्मान भारतीयता की पहचान है। ऐसे ही प्रख्यात शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् है। जिनका जन्म 5 सितंबर सन् 1888 ई को मद्रास में हुआ। डॉक्टर राधाकृष्णन् की शिक्षण शैली अत्यंत विलक्षण थी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी राधाकृष्णन् की विलक्षणता को जीवंत रखने के लिए ,उनके स्मरण को सदैव सजीव  रखने के लिए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। 5सितंबर 1962 से अनवरत शिक्षक दिवस सभी शिक्षण संस्थानों में मनाया जाता है ‌।

डॉ राधाकृष्णन् समाज को एक ऐसे श्रेष्ठ और प्रतिष्ठित रूप में विकसित देखना चाहते थे जिसमें श्रेष्ठ मानवता के गुण अनुस्यूत हो।  डॉ राधाकृष्णन् वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांत में विश्वास करते थे। उनका मंतव्य था कि संसार के सभी व्यक्ति स्वार्थपरता को छोड़ परहित चिंतन में लगे। सभी को सबकी सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्रीयता को सम्मान की दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। वे शिक्षा के माध्यम से विश्व बंधुत्व की भावना को बलवती बनाने पर अत्यधिक बल देते थे ‌। उनका मानना था कि शिक्षा की रूपरेखा इस प्रकार प्रस्तुत हो जिसमें मानव भौतिकवादी प्रवृत्ति से दूर हट कर आध्यात्मिक मनोवृत्ति की ओर अग्रसर हो। शिक्षण संस्थानों में चलने वाले पाठ्यक्रम और शिक्षा प्रणाली ही इसमें अहम भूमिका निभा सकती है ‌।

डॉ राधाकृष्णन् नैतिकता को मनुष्य के सामाजिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास का सुदृढ़ आधार मानते थे। उनका मानना था कि हमारे सामाजिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए नैतिकता का संगठन व संवर्धन शिक्षण में समाहित होना चाहिए।

डॉ राधाकृष्णन वर्तमान शिक्षा प्रणाली की आलोचना करते थे।उनका मानना था कि मात्र परीक्षा उत्तीर्ण करना व पुस्तकीय ज्ञान, ज्ञान नहीं है वरन् शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य मस्तिष्क की आंतरिक शक्तियों को विकसित, प्रशिक्षित कर विद्यार्थी को प्रकृति के निकट साहचर्य प्राप्त करने की शक्ति  प्रदान करना है। डॉ राधाकृष्णन् की मान्यता थी कि आज की शिक्षा में आध्यात्मिक विकास की अवहेलना की जाती है। उनके अनुसार शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें अपने शिक्षण संस्थानों में आध्यात्मिक शिक्षा को शामिल करने की आवश्यकता है।

 इस प्रकार डॉ राधाकृष्णन् ने पुरजोर शब्दों में कहा था कि हमारी शिक्षा उस समय तक अधूरी है जब तक उसके द्वारा हमारी आध्यात्मिक, चारित्रिक व नैतिक उन्नति नहीं होती। इस मायने में  2020 की नई शिक्षा नीति डॉ राधाकृष्णन् के सपनों को साकार करने वाली हो सकती है। कहा जा रहा है कि नई शिक्षा नीति में भारतीय परंपरा के सभी मूल्यों को अनुस्यूत किया गया है।

भारत रत्न प्राप्त डॉ राधाकृष्णन् के सम्मान में हम शिक्षक दिवस मनाते हैं और नई शिक्षा नीति का आगाज उनका सम्मान और गौरव बढ़ाने वाला है। डॉ राधाकृष्णन् ने सदैव एक अच्छी शिक्षा का सपना संजोया था। उत्तम शिक्षक ही समाज व देश का चहुमुखी विकास कर सकता है। ऐसे उत्कृष्ट भाव वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शत-शत नमन।

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