श्रेष्ठ संतान के बगैर श्रेष्ठ राष्ट्र की कल्पना नहीं : निम्बाराम

श्रेष्ठ संतान के बगैर श्रेष्ठ राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती

श्रेष्ठ संतान के बगैर श्रेष्ठ राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती

जयपुर, 22 जुलाई। श्रेष्ठ संतान के बगैर श्रेष्ठ राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। अगर हम दुनिया में सुख शांति की स्थापना चाहते हैं तो श्रेष्ठ संतति निर्माण को हमें अभियान के रूप में लेना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पश्चिम क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने यह बात मंगलवार शाम आरोग्य भारती द्वारा आयोजित गर्भ संस्कार विषयक वेबिनार व्याख्यान के दौरान कही। क्षेत्र प्रचारक ने कहा कि माता जीजाबाई ने विपरीत परिस्थितियों में राष्ट्रभक्ति के भाव से ओतप्रोत बालक को जन्म दिया। ऐसे वीर शिवा ने मुगलों को परास्त किया था।

व्याख्यान के मुख्य वक्ता गुजरात आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के पूर्व प्राचार्य व आरोग्य भारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. हितेश जानी ने कहा कि वैदिक परंपरागत गर्भ संस्कार में हम अपने गोत्र में विवाह नहीं करते। मातृ पक्ष से पांच पीढ़ी और पित्र पक्ष से सात पीढ़ी पूर्वजों में खून का रिश्ता नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि गर्भधारण से 3 माह पूर्व से ही अगर योजना की जाए तो हष्ट—पुष्ट, बुद्धिमान, बलवान, विवेकशील संतान की उत्पत्ति की जा सकती है। इसलिए ऐसे संस्कारों की जानकारी हेतु विधिवत प्रशिक्षण केंद्र संचालित किया जा रहा है।

इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन भगवान धन्वन्तरी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर किया गया। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य वैद्य केदारनाथ शर्मा ने सभी धन्यवाद देते हुए कोरोना काल की गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन आरोग्य भारती राजस्थान के क्षेत्र संयोजक लक्ष्मण भावसिंहका द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ. रेखा भारद्वाज, डॉ. वृंदा राव, डॉ. अनुपमा चतुर्वेदी, डॉ. अंजना शर्मा, डॉ. रश्मि शर्मा ने गर्भ संस्कार पर मरीजों पर किए गए प्रयोगों के अनुभव साझा किए।

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