संकट के समय संकटमोचक सरकारी तंत्र 

आज संकट की घड़ी में सरकारी संस्थाएं व तंत्र सबसे बड़े संकटमोचक के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 

रतन राज पुरोहित

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से सम्पूर्ण विश्व इस समय लड़ रहा है। सभी देश और उनके निवासी अपना जीवन बचाने में लगे हैं।सामान्यतः देखा गया है कि लोग सरकारी तंत्र में यकीन नहीं रखते। पिछले लगभग 30 वर्षों से प्राइवेटाइजेशन के चलते, देश की सरकारी संस्थाओं और अन्य तंत्रों को गाली समझा जाता रहा है।

लेकिन आज संकट की घड़ी में सरकारी संस्थाएं व तंत्र सबसे बड़े संकटमोचक के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

एअर इंडिया ने विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को अपनों के बीच लाकर उनके लिए संजीवनी का काम किया है। ईरान, ईराक़, अमेरिका, जापान, अफगानिस्तान आदि अनेक देशों में फंसे नागरिकों को एअर इंडिया से ही भारत लाया गया।

देश के सरकारी हॉस्पिटल, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस जिनको सरकारी दामाद बोला जाता था, वही सरकारी डॉक्टर और पुलिस आज अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात मेहनत करके लोगों का जीवन बचाने का प्रयास कर रहे हैं। इनमें से अधिकतर कई कई दिनों तक अपने घर भी नहीं जा पा रहे हैं।

कुछ लोगों का विचार है कि सरकारी संस्थानों की सेवाएं अच्छी नहीं होतीं, वे प्राइवेट संस्थानों, एजेंसियों को अधिक महत्व देते हैं। परन्तु इस संकट काल में सभी सरकारी हॉस्पिटल और संस्थान पूरे मनोयोग से लोगों का जीवन बचाने में लगे हैं।

इस समय मदर डेयरी जो लगभग सरकारी संस्थान है, देश के हर हिस्से में दूध और अपने अन्य उत्पाद पहुँचाने में सबसे आगे है।

भारतीय रेल, जिसकी यात्री सेवाएं अभी बंद हैं परंतु आवश्यक सामानों की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए इसकी माल गाड़ियों के पहिये रुकने का नाम नही ले रहे। रेल विभाग सम्पूर्ण भारत में मानव जीवन की आवश्यक वस्तुओं, खाद्यान्न, दूध, मेडिसिन और पशुओं के लिये चारे की समुचित व्यवस्था कर रहा है।

आज आवश्यकता है सरकार के हर कदम का साथ देने की, सरकार के आदेशों का पालन करने की। अत: सब लोग अपने  अपने घरों में रहें और लॉक डाउन के नियमों का पालन करें। आसपास किसी गरीब को भोजन इत्यादि की आवश्यकता हो तो इस कठिन परिस्थिति में उसकी सहायता अवश्य करें।

अपने गाँव, शहर में मानव जीवन को बचाने में लगे डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारियों और पुलिस प्रशासन का सहयोग और सम्मान करें, यही आज की महती आवश्यकता है।

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