संयुक्त परिवार
हमसे तुम और तुमसे हम, हमसे मिलकर है परिवार।
संगठन में शक्ति है,परिवार का यही है सार।
माता से मन्दिर घर बनता, पिताश्री से प्रेम व्यवहार।
बड़े भाई से भक्ति बनती, भाभी से घर का अभिमान।
मंझला भाई महान बनाता,बहिन घर की रोशनदान।
जीजा श्री घर की खुशबू हैं, बच्चे हैं सच्चे भगवान।
संगठन में शक्ति है,परिवार का यही है सार।
दादा जी मार्गदर्शक हैं, दादी जी हैं स्वाभिमान।
संयुक्त घर ही घर कहलाता, एकल परिवार बड़ा व्यवधान
टुकड़े मत होने दो घर के, संगठन में शक्ति महान।।
परिवार का हर अंग मिलकर, परिवार सजाता है।
अपनी खुशबू, अपनी मिट्टी नया घर बनाता है।
सबका साथ, सबका विकास परिवार में लाना है।
संयुक्त परिवार ही परिवार है, यह विश्वास दिलाना है।
छोटी छोटी खुशियों से परिवार स्वर्ग बनता है।
सुख दुख में एक दूसरे का साथ देने से ही परिवार का हर जन फलता फूलता है।
परिवार से शुरू होता मैं, परिवार में मिल जाता हूँ।
इसीलिए जुगनू बनकर, संयुक्त परिवार सजाता हूँ।।
स्वरूप जैन(जुगनू)