संविधान समझने के लिए उसमें अंकित चित्रों के भावों को समझें- लक्खी दा

संविधान समझने के लिए उसमें अंकित चित्रों के भावों को समझें- लक्खी दा

संविधान समझने के लिए उसमें अंकित चित्रों के भावों को समझें- लक्खी दासंविधान समझने के लिए उसमें अंकित चित्रों के भावों को समझें- लक्खी दा

संविधान समझने के लिए उसमें अंकित चित्रों के भावों को समझें। संविधान के प्रत्येक अध्याय का चित्र एक विशेष संदेश के साथ जोड़ा गया है। हर चित्र अपने आप में उस अध्याय की संपूर्ण व्याख्या करने को पर्याप्त है। यह बात राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से प्रकाशित पुस्तक ‘हमारा संविधान भाव एवं रेखांकन’ के बारे में शेखावाटी साहित्य संगम के चौथे दिन पुस्तक परिचर्चा के सत्र में वक्ता लक्ष्मीनारायण भाला उपाख्याय ‘लक्खी दा’ ने कही।

संविधान निर्माण की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 26 जनवरी 1930 को लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में पहला स्वराज दिवस मनाया गया, उसी स्वराज दिवस को स्मरण रखने के लिए संविधान दिवस के रूप में 26 जनवरी को चुना गया।उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर 1946 को संविधान सभा का गठन हुआ था। प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस ने संविधान में चित्रों को अंकित किया तथा मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए संविधान में रामराज्य का चित्र जोड़ा। संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक तत्वों की व्याख्या करने के लिए गीता का चित्र दर्शाया गया तथा भाग 5 में कार्यपालिका के कार्य बताने के लिए बुद्ध का चित्र दिया गया, जिसमें वे अपने शिष्यों को उपदेश देते हुए दिखाए गए हैं। संविधान के भाग 11 में अश्वमेध यज्ञ का चित्र दिया गया है, जिसकी व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कार्य सरदार पटेल ने किया। सरदार पटेल ने देश को संगठित करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। भाग 12 में स्वस्तिक तथा नटराज का चित्र था जो आनंद का प्रतीक है। भाग 15 में गुरु गोविंद सिंह जी का चित्र है, जो बताता है कि हमारा नेतृत्व गुरु गोविंद सिंह जी के समान पराक्रमी व त्यागी होना चाहिए। भाग 19 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का चित्र दिया गया है, जो प्रशासन प्रबंधन व देश के कुशल संचालन का संदेश देता है।

इस प्रकार उन्होंने संपूर्ण संविधान के सभी भागों की चित्र सहित व्याख्या की तथा अनेक प्रकार के तथ्यों से अवगत करवाया।

संविधान समझने के लिए उसमें अंकित चित्रों के भावों को समझें- लक्खी दा

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